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Crime Increase in Bihar: बढ़ते अपराध से 'सुशासन बाबू' की यूएसपी पर उठ रहे सवाल - Law and Order in Bihar

बिहार में बिगड़ते कानून व्यवस्था (Law and order in Bihar) को लेकर बीजेपी नीतीश सरकार पर हमलावर है. बिहार में पिछले तीन महीने के अंदर ढाई सौ कत्ल की वारदात हुए है. इस बात को लेकर बीजेपी बिहार में जंगलराज की वापसी का आरोप लगा रही है. खास बात ये है कि 'सुशासन' ही नीतीश की यूएसपी रही है, यानी बीजेपी डायरेक्ट 'छवि' पर ही अटैक कर रही है? पढ़ें -

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Published : Feb 13, 2023, 8:57 PM IST

सुशासन पर उठे सवाल

पटना: लगातार हो रही अपराधिक घटनाओं ने बिहार में कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के यूएसपी पर ही सवाल खड़ा कर दिया है. विपक्ष महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से फिर से बिहार में जंगलराज की वापसी की बात कर रहा है. पटना के मनेर में नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं के साथ छेड़खानी, गया में जदयू नेता की सरेआम गोलियों से भूनकर हत्या और छपरा में मॉब लिंचिंग में दो युवकों की बेरहमी से पीटकर मौत के घात उतार देना, बिहार में जंगलराज की याद दिला रहा है. बीजेपी इसे मुद्दा बनाने में लगी है, यहां तक की पोस्टर से भी नीतीश कुमार पर निशाना साध रही है.


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महागठबंधन सरकार, क्राइम धुआंधार?: बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद एक तरफ विपक्ष लगातार यह आरोप लगा रहा है कि अपराधियों में पुलिस का डर खत्म हो गया है. हत्या बलात्कार लूट और छेड़खानी की घटनाएं आम हैं, तो दूसरी तरफ सत्ताधारी दल अपने तरीके से बचाव कर रहा है. बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि बिहार में जंगलराज कायम हो गया है, कोर्ट तक बोल रहा है, नीतीश समाधान यात्रा नहीं बल्कि त्राहिमाम यात्रा कर रहे हैं. अब नीतीश कुमार लाचार और बेबस हैं.


'सरकार त्वरित कार्रवाई कर रही': वहीं, जदयू के प्रवक्ता परिमल राज का कहना है कि नीतीश कुमार क्राइम, करप्शन और कम्युनिलिज्म से कभी समझौता नहीं कर सकते हैं. घटनाओं पर सरकार तुरंत संज्ञान लेती है. उच्च अधिकारियों को कार्रवाई करने का निर्देश भी देती है. लेकिन समाज में कुछ लोग हैं जो माहौल बिगाड़ना चाहते हैं. सरकार में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि पिछले 6 महीने में जब से महागठबंधन की सरकार बनी है. बीजेपी लगातार माहौल बिगाड़ने की कोशिश में लगी है और जंगल राज की बात कह रही है. जबकि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में कानून व्यवस्था में सुधार किया गया है.र कोई भी अपराधी बच नहीं पाएंगे सलाखों के पीछे जाएंगे.

बीजेपी का पोस्टर वार


'जंगलराज आ गया ये सही नहीं' : राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि अपराध का नियंत्रण राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. लेकिन, बिहार सरकार में इन दिनों अधिकारियों के बीच विवाद ही चर्चा में है. नीतीश कुमार ने बिहार में बड़े पैमाने पर पुलिस बल की बहाली की है. ऐसा नहीं है कि पुलिस की कमी के कारण अपराध नियंत्रण नहीं हो रहा है. लेकिन प्रशासनिक नियंत्रण कहीं ना कहीं कमजोर हुआ है. इसलिए राजधानी पटना में भी अपराध की घटनाओं में इजाफा हुआ है. बीजेपी विपक्ष में है तो निश्चित रूप से इसे उठाएगी लेकिन जंगलराज आ गया है यह कहना सही नहीं है.

''अपराधिक घटनाएं बढ़ी हैं और इस बात का डर है कि 2004-05 से पहले वाली स्थिति फिर ना बिहार में लौट जाए. अब नीतीश कुमार के पास गृह मंत्रालय है तो निश्चित रूप से बीजेपी उन पर सवाल खड़ा करेगी ही.''- अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ


3 महीने में ढाई सौ हत्याएं: पुलिस प्रशासन की तरफ से दावा किया जाता रहा है कि अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है. कोई भी घटना घटती है तो उस पर तुरंत एक्शन होता है. पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार का कहना है कि हर घटना हम लोगों के लिए चुनौती है. पिछले 3 महीने में ढाई सौ से अधिक हत्याएं हुई हैं. प्रतिदिन लूट, छेड़खानी की घटना सामने आ रही है.

बिहार में अपराध की केस हिस्ट्री

जेडीयू जिला उपाध्यक्ष को गोलियों से भूना: बड़ी घटनाओं की बात करें तो गया में जेडीयू जिला उपाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह की अपराधियों ने घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी. घटना शुक्रवार की देर रात की है. सुनील कुमार सिंह और जेडीयू जिला प्रवक्ता अवध बिहारी पटेल अपने किसी दोस्त के यहां हुए बर्थडे पार्टी से वापस लौट रहे थे. इसी दौरान अपराधियों ने अंधाधुंध फायरिंग करते सुनील को मौत के घाट उतार दिया था.



संगीनों के साए में पढ़ाई!: राजधानी पटना जिले के मनेर थाना इलाके में दबंगों के कारण खौफ के साए में एक निजी कॉलेज में AK 47 और AK 56 की निगरानी में छात्राओं को पढ़ाया जा रहा है. दरअसल लोकल युवकों के भय से 80% छात्राएं कॉलेज आना बंद कर चुकी हैं. वहीं जो आ भी रही हैं, वह भी डर-डर कर कॉलेज पहुंच रही हैं. इसके पीछे का कारण छात्राओं के साथ छेड़खानी है. पिछले 31 जनवरी को बदमाशों ने कॉलेज परिसर में घुसकर कर्मियों के साथ मारपीट की थी. इस दौरान मनचलों ने छात्राओं और शिक्षिकाओं के साथ मारपीट और छेड़खानी की थी. छेड़खानी और मारपीट की घटना से छात्राएं अभी तक उबर नहीं पाई हैं.



छपरा में 'नरसंहार': छपरा के मांझी में तीन युवकों को बेरहमी से पीटा जाता है और उसका वीडियो भी वायरल होता है. जिसमें से दो की मौत हो जाती है. एक की मौत तो घटनास्थल पर भी होती है दूसरा इलाज के दौरान और तीसरा पीएमसीएच में इलाज के बाद किसी तरह बच जाता है. घटना के जवाब में दूसरे पक्ष के तरफ से आगजनी भी की जाती है और पूरे इलाके में सोशल मीडिया को कई दिनों तक बंद करना पड़ता है.


आरा में डबल मर्डर: आरा में प्रोफेसर दंपती की हत्या दिल दहलाने वाली है. गोपालगंज में दूसरी बार चुनाव जीतकर आए मुखिया की सरेआम गोली मारकर हत्या. पिछले 2 सप्ताह में ही एक दर्जन लोगों की हत्या अपराधियों और दबंगों ने कर दी है. छेड़खानी और लूटपाट की घटना की तो बात ही छोड़ दीजिए. यह सब चंद उदाहरण हैं जो बताता है कि बिहार में कानून व्यवस्था का हाल क्या है?

'अपराधियों का मनोबल न बढ़ने पाए': ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञ भी कहते हैं कि पुलिस के तरफ से कई मामलों में त्वरित कार्रवाई भी की जाती है. अपराधियों को दबोचा भी जाता है, लेकिन अधिकांश मामलों में जो कार्रवाई होनी चाहिए वह नहीं हो रही है और इसके कारण अपराधियों का मनोबल बढ़ रहा है.


नए डीजीपी के लिए क्राइम कंट्रोल बड़ी चुनौती: बिहार में नए डीजीपी आर एस भट्टी के कामकाज संभालने के यह उम्मीद जताई जा रही थी कि अपराधियों पर नकेल कसेंगे. डीजीपी ने कार्यभार संभालते ही पुलिस अधिकारियों से कहा भी था यदि आप अपराधियों को नहीं दौड़ाएंगे तो वह आपको दौड़ाएगा. कमोबेश स्थिति अभी यही है, घटना के बाद पुलिस जांच में जरूर लग जा रही है, लेकिन जिस प्रकार से घटनाएं हो रही हैं, एक के बाद एक अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ साफ दिख रहा है. बीजेपी इसे मुद्दा बनाकर नीतीश के सुशासन पर सवाल खड़े कर रही है.

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