पटना: बिहार में ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने कोरोना काल में सरकार की मदद का लाभ लेकर खुद के साथ-साथ कई और लोगों के लिए रोजगार का सृजन किया है. राजधानी पटना के रहने वाले पुरुषोत्तम वत्स भी जालंधर के कपड़ा फैक्ट्री में काम किया करते थे. लॉकडाउन के समय उन्हें काम से निकाल दिया गया था, जिसके बाद वो काफी डिप्रेशन में चले गए थे.
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बिहार में शुरू किया अपना रोजगार
घर लौटने के बाद उनके परिवार के सदस्य उनके माता-पिता ने उन्हें बिहार में ही अपना रोजगार शुरू करने को कहा. जिसके बाद पुरुषोत्तम ने भी बिहार में रोजगार सृजन कर कुछ और लोगों को रोजगार देने का निर्णय लिया.
लॉकडाउन में चली गई थी नौकरी
पुरुषोत्तम वत्स की लॉकडाउन के कारण नौकरी चली गई थी. नौकरी चली जाने के बाद वो घर लौटे. तब उन्हें जानकारी मिली कि सरकार द्वारा जिला औद्योगिक नवप्रवर्तन योजना चलाई जा रही है. जिसके तहत उन्होंने 10 लोगों के साथ मिलकर एक क्लस्टर बनाकर सरकार की योजना का लाभ लिया. राजधानी पटना के बेउर इलाके में पुरुषोत्तम वत्स ने सरकार की मदद से छोटी सी रेडीमेड फैक्ट्री लगाई.
अनुदान से तैयार किया क्लस्टर
दिसंबर 2020 में पुरुषोत्तम वत्स ने रेडीमेड गारमेंट्स का व्यापार शुरू किया, जिसके लिए उन्हें सरकार के द्वारा स्किल मैपिंग कराकर रोजगार के लिए 10 लाख का अनुदान दिया गया. उनके साथ कार्य कर रहे युवा गुजरात, मुंबई, दिल्ली और पंजाब से आए हैं, जिन्होंने क्लस्टर बनाकर काम शुरू किया और आज इन लोगों ने बिहार में दर्जनों लोगों को रोजगार दिया है.
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''बिहार के बाहर की कंपनियों में बिहार के कुशल कारीगर कार्य कर रहे हैं और उन्हीं के बदौलत बड़ी-बड़ी कंपनियां चल रही है. ऐसे में बाहर काम करने वाले लोग यदि बिहार में आकर अपने हुनर को दिखाएंगे, तो घर बैठे ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.''- पुरुषोत्तम वत्स, लाभार्थी
तैयार किया खुद का क्लस्टर अब बिहार में रहकर ही कर रहे काम
पुरुषोत्तम वत्स के द्वारा रेडिमेंट कपड़े जैसे शर्ट, पेंट, जींस और विंटर सीजन में स्वेटर जैकेट तैयार किया जाता है. साथ ही साथ स्कूलों के ड्रेस भी भारी संख्या में बनाए जा रहे हैं. पुरुषोत्तम के साथ काम करने वाले कुंदन जो कि दिल्ली में कपड़े की फैक्ट्री में काम किया करते थे, लॉकडाउन के दौरान जब दिल्ली से वापस आए तो इन्होंने वापस जाने का निर्णय नहीं लिया.
क्लस्टर के जरिए रोजगार का सृजन
अब अपने परिवार के सदस्यों के साथ यहीं पर रहकर कमाएंगे खाएंगे, लेकिन वापस दूसरे राज्य नहीं जाएंगे. बिहार में जिला नवप्रवर्तन योजना का लाभ 3463 लोग ले रहे हैं. हर जिले में करीब 5 से 6 क्लस्टर में 5, 10, 15 या 20 लोग मिलकर अलग-अलग व्यापार कर रहे हैं. जिसमें गारमेंट्स, कृषि फूड प्रोसेसिंग, लेदर, लकड़ी, मशरूम, हनी, हर्बल और टेलरिंग जैसे उद्योग की शुरुआत की और ठीक-ठाक मुनाफा भी कमा रहे हैं.
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कोरोना काल में सरकारी योजना का लाभ
सरकार ने इस योजना के साथ-साथ सीएम उद्यमी योजना की भी शुरुआत की है. जिसका भी लाभ कोरोना के इस दौर में लोग उठा सकते हैं. इस योजना के अंतर्गत उद्योग लगाने के लिए सरकार 10 लाख की राशि देगी, जिसमें 5 लाख अनुदान दिया जाएगा.