पटना : बिहार विधानसभा में पहले दिन एक अजीबोगरीब स्थिति तब पैदा हो गई जब फिलिस्तीन को लेकर विधानसभा में शोक प्रस्ताव लाया जा रहा था. उस समय माले के विधायकों ने फिलिस्तीन में मारे गए लोगों के लिए शोक प्रस्ताव पेश करने की मांग करने लगे. यह मांग तब होने लगी, जब तमाम विधायक पिछले दिनों दिवंगत हुए नेताओं और महापुरुषों के निधन पर मौन धारण किए हुए थे. इसके बावजूद माले के विधायकों ने जमकर बवाल काटा.
फिलिस्तीन हमले में मारे गए लोगों पर शोक प्रस्ताव : भारतीय जनता पार्टी और जदयू के विधायकों ने इसका जमकर विरोध किया. कहा कि यह गलत परिपाटी है. यह हमास के समर्थक हैं, यह आतंकवादियों के समर्थक हैं. ईटीवी भारत ने अलग-अलग दलों के मुस्लिम विधायकों से बात की और उनसे जानना चाहा कि आखिर यह क्यों हुआ और यह करना चाहिए या नहीं.
माले ने कहा ये शोक प्रस्ताव आगे भी लाएंगे :ईटीवी भारत ने पहले माले विधायक महबूब आलम से बात की. सवाल पूछा कि आखिर वह क्यों चाहते हैं कि फिलिस्तीन में मारे गए लोगों की श्रद्धांजलि बिहार विधानसभा में दी जाए तो, उन्होंने साफ कहा हम फिलिस्तीन के समर्थक हैं. वहां जो इसराइल ज्यादती कर रहा है हम उसका विरोध करते हैं. बिहार विधानसभा में उन सभी लोगों के लिए शोक प्रस्ताव लाना चाहिए जो हाल के दिनों में दिवंगत हुए हैं. इसी के तहत माले ने ये मांग विधानसभा में की है.
विधानसभा में हंगामा: महबूब आलम से जब यह पूछा गया कि जदयू के विधायक ने आप लोगों का विरोध किया है, उन्होंने कहा है कि आप लोगों को अपने टिकट पर हमास भेज देंगे. इस पर उन्होंने कहा कि ''जदयू विधायक संजीव डॉक्टर संजीव कुमार के सिर से भाजपा का भूत नहीं उतरा है. वह कोई ऐसी अथॉरिटी नहीं है. जिसे जदयू का बयान माना जाए. फिलिस्तीन में मारे गए लोगों के शोक का प्रस्ताव वह आगे भी लाएंगे.''
माले की मांग जायज- कांग्रेस :वहीं, कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने कहा कि''भाजपा का एक तबका इजराइल का समर्थन कर रहा है तो दूसरा तबका फिलिस्तीन का समर्थन कर रहा है. दोनों कंफ्यूज है. जहां तक रही बिहार विधानसभा में शोक प्रस्ताव लाने की मांग तो, यह लाना चाहिए. कोई भी दिवंगत होता है तो उसकी शोक प्रस्ताव लाना चाहिए''. लेकिन, उन्होंने माले के टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं. कहा है कि वह समय ठीक नहीं था. इस प्रस्ताव को ऑफिशियल तरीके से लाना चाहिए.