भाकपा माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य पटना: शनिवार को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में भाकपा माले के 11वें महाधिवेशन के तीसरे दिन संविधान बचाओ लोकतंत्र बचाओ देश बचाओ विषय पर राष्ट्रीय कन्वेंशन का आयोजन किया गया जिसमें विपक्षी एकजुटता को प्रदर्शित करने के लिए तमाम विपक्षी नेता शिरकत करने पहुंचे. इस कन्वेंशन के बारे में बताते हुए भाकपा माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज जब संविधान और लोकतंत्र की बुनियाद खतरे में है तो सबको देश को बचाने के लिए बहुत निर्णायक लड़ाई लड़नी होगी और इसके लिए व्यापक एकजुटता कायम करनी होगी.
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'विपक्षी ताकत को एकजुट करना है जरूरी':दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि विपक्षी एकजुटता की कोशिश की और उन्हें अच्छा लगा कि उनके सम्मेलन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, सलमान खुर्शीद जैसे नेता पहुंचे. दक्षिण भारत से भी कई नेता पहुंचे. झारखंड में नए राज्यपाल के शपथ ग्रहण समारोह के कारण हेमंत सोरेन इस अधिवेशन में नहीं आ सके. लेकिन उन्होंने अपनी शुभकामना संदेश भेजी. इस समय देश के लिए खतरा बड़ा है. संविधान को बचाना है. इससे निपटने के लिए और देश को इस संकट से निकालने के लिए, एक मजबूत एकता चाहिए उस एकता का संदेश इस सम्मेलन से गया है.
'राष्ट्रीय स्तर पर भी महागठबंधन बने':बिहार में हम सभी एक साथ हैं. राष्ट्रीय स्तर पर भी एक महागठबंधन बने यह आज के इस कन्वेंशन से संदेश गया है. सब लोगों ने यही कहा है और उम्मीद की जा रही है कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक महागठबंधन बनेगा. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस बड़ी पार्टी है, ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर अगर कोशिश करनी है तो इसमें निश्चित तौर पर कांग्रेस की बड़ी भूमिका होनी चाहिए. इसलिए जरूरी हो गया है तमाम पार्टियों की मीटिंग हो और एक महागठबंधन का निर्माण हो जो राष्ट्रीय स्तर पर हो. इसके लिए जल्दी निर्णय लेने की आवश्यकता है क्योंकि समय अब काफी कम बच गया है. त्रिपुरा में चुनाव भी संपन्न हो चुका है और लोकसभा चुनाव के लिए लगभग 1 साल का समय बचा है.
'तिकड़म से शिवसेना को तोड़ा गया': महाराष्ट्र में चुनाव आयोग द्वारा शिंदे गुट को शिवसेना का सिंबल दिए जाने के सवाल पर दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि मुझे लगता है कि यह चुनाव आयोग का निर्णय है और हो सकता है यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जाए. आखिरी फैसला महाराष्ट्र में जनता को करना है कि कौन असली शिवसेना है और जनता फैसला कर देगी. तिकड़म करके शिवसेना को तोड़ा गया है और तिकड़म करके उद्धव गुट से चुनाव निशान छीना गया है, लेकिन इससे कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा.
उद्धव ठाकरे गुट को निराशा:दरअसल शुक्रवार को चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के सपोर्ट में अपना फैसला सुनाया था. चुनाव आयोग ने फैसला किया कि एकनाथ शिंदे गुट पार्टी का नाम शिवसेना और पार्टी का चिह्न धनुष और तीर रखेगी. उद्धव गुट ने बिना चुनाव के ही अपने लोगों को गलत तरीके से पदाधिकारी नियुक्त कर दिया. जिसके बाद चुनाव आयोग के इस फैसले से शिंदे गुट में खुशी तो उद्धव गुट में मायूसी है.