बिहार

bihar

ETV Bharat / state

CPI-ML ने की टाडा बंदियों की रिहाई की मांग, 28 अप्रैल को देंगे CM के समक्ष धरना

भाकपा माले ने टाडा बंदियों की रिहाई की मांग की है. वहीं आनंद मोहन की रिहाई का भाकपा माले ने विरोध (Protest against release of Anand Mohan ) किया है. उनका कहना है कि अगर आनंद मोहन सहित 27 बंदियों को सजा पूरी कर लेने के लिए छोड़ा जा सकता है तो टाडा बंदियों की रिहाई क्यों नहीं की गई. इसका मतलब है कि सरकार भेदभाव कर रही है. इसी के विरोध में भाकपा माले के विधायक 28 अप्रैल को मुख्यमंत्री के समक्ष धरना देंगे. पढ़ें पूरी खबर..

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Apr 26, 2023, 6:13 PM IST

भाकपा माले ने की टाडा बंदियों के रिहाई की मांग

पटना: बिहार सरकार ने 14 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके 27 बंदियों की रिहाई की सूची जारी की है. इसमें बाहुबली नेता आनंद मोहन भी शामिल हैं. भाकपा माले की लंबे समय से मांग रही है कि बहुचर्चित भदासी कांड के 6 टाडा बंदियों की रिहाई (CPI ML demands release of TADA prisoners ) की जाए. इन 27 बंदियों की रिहाई में यह टाडा बंदी शामिल नहीं हैं. इसका भाकपा माले ने पुरजोर विरोध किया है. भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि 28 अप्रैल को मुख्यमंत्री के समक्ष सभी माले विधायक धरना देंगे. क्योंकि कैदियों की रिहाई में भेदवाभ हुआ है.

ये भी पढ़ेंः Anand Mohan ने सहरसा जेल में किया सरेंडर, कभी भी आ सकते हैं परमानेंट रूप से बाहर

सभी टाडा बंदी दलित समाज केःकुणाल ने कहा कि 14 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके 27 बंदियों को रिहा किया गया है और उम्मीद की जा रही थी कि 6 टाडा बंदी जो 22 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके हैं उनकी रिहाई की जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और यह बताता है कि सरकार कैदियों की रिहाई में भेदभाव कर रही है. भदासी के 14 बंदियों में 6 की मौत हो चुकी है, एक बंदी पैरोल पर जाने के बाद वर्षों से फरार है और एक बंदी कि सुप्रीम कोर्ट से निर्देश के बाद रिहाई हो चुकी है. ऐसे में अब भी 6 बंदी जेल में बंद हैं. यह सभी दलित, अति पिछड़े और पिछड़े समाज से आते हैं.

"28 अप्रैल को मुख्यमंत्री के समक्ष सभी माले विधायक धरना देंगे. 14 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके 27 बंदियों को रिहा किया गया है और उम्मीद की जा रही थी कि 6 टाडा बंदी जो 22 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके हैं उनकी रिहाई की जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और यह बताता है कि सरकार कैदियों की रिहाई में भेदभाव कर रही है. भदासी के 14 बंदियों में 6 की मौत हो चुकी है, एक बंदी पैरोल पर जाने के बाद वर्षों से फरार है और एक बंदी कि सुप्रीम कोर्ट से निर्देश के बाद रिहाई हो चुकी है. ऐसे में अब भी 6 बंदी जेल में बंद हैं" - कुणाल, राज्य सचिव, भाकपा माले

टाडा बंदी 30 साल की काट चुके हैं सजाःकुणाल ने कहा कि जिन्होंने 22 साल की सजा काट ली है. यदि परिहार के साल को जोड़ दिया जाए तो 30 वर्ष से अधिक हो गए हैं और सभी बूढ़े और गंभीर रूप से बीमार हैं. सरकार से उन लोगों की यही मांग रही है कि इन बंदियों को रिहा किया जाए, ताकि अपने जीवन के आखिरी क्षणों में अपने परिवार के बीच में रह सके. इस मसले को वह विधानसभा में भी उठा चुके हैं और कई बार मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापन भी सौंपा चुके हैं, लेकिन इस बार की रिहाई में टाडा बंदियों को शामिल नहीं किया गया. सरकार का यह निर्णय बताता है कि कैदियों के प्रति सरकार का एक नजरिया नहीं है और यह निर्णय भेदभाव पूर्ण है. 28 अप्रैल को पार्टी के सभी विधायक इन छह टाडा बंदियों की रिहाई की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के सामने 1 दिन का सांकेतिक धरना देंगे और एक बार फिर से मुख्यमंत्री को इनकी रिहाई के लिए पत्र सौंपेंगे.

कैदियों की रिहाई के लिए विकसित हो एक अलग सिस्टमः गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया पत्नी द्वारा आनंद मोहन की रिहाई के फैसले का विरोध किया गया है इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाकपा माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि वह उनकी पीड़ा को समझ सकते हैं. वह इस मामले पर अधिक कुछ नहीं बोलेंगे लेकिन इतना कहेंगे कि सरकार यदि किसी कैदी को छोड़ती है, तो एक ऐसा सिस्टम विकसित किया जाए, जिसमें समाज के प्रबुद्ध लोग हों, कैदी के परिवार के लोग हों सभी राजनीतिक दल हो और सभी के मत को लेकर कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया जाए. कुणाल ने कहा कि सरकार को यह भी देखना चाहिए कि इतनी गंभीर अपराधों पर सजा काटने वाले लोगों को आप छोड़ रहे हैं और एक छोटी सी बात शराब पीने के मामले पर 25000 से अधिक लोगों को जेलों में कैद करके रखे हैं.

शराब मामले में बंद लोगों को दी जाए सामूहिक माफीःकुणाल ने कहा कि उनकी पार्टी की शुरू से मांग रही है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराब पीने के जुर्म में कैदियों को सामूहिक माफी देते हुए रिहा करें. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष की एकजुटता के लिए देश के विभिन्न राज्यों का भ्रमण कर रहे हैं और प्रदेश के कई निर्णयों में म महागठबंधन के दलों की राय नहीं ले रहे हैं. इस पर राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि विपक्षी एकजुटता समय की मांग है. नीतीश कुमार के इस पहल की वह सराहना करते हैं लेकिन यह कहना जरूर सही है कि बिहार के जो जनमानस के मुद्दे हैं उन पर महागठबंधन के सभी दलों की राय लेकर निर्णय लेने चाहिए. ऐसा होने से गठबंधन के प्रति जनता का विश्वास बढ़ेगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details