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भाकपा माले की मांग- 'सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए खुला रहे गायघाट शेल्टर होम का दरवाजा'

भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने गायघाट शेल्टर होम केस में सरकार पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि सरकार को मुजफ्फरपुर केस से सीख लेनी चाहिए. सामाजिक कार्यकर्ताओं और महिला संगठनों को आनेजाने की छूट देनी चाहिए. पढ़ें रिपोर्ट..

भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल
भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल

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Published : Feb 7, 2022, 6:02 PM IST

पटना: गायघाट शेल्टर होम के मामले पर भाकपा माले का कड़ा तेवर (Gaighat Shelter Home Case) सामने आया है. पूरे मामले में भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने सरकार पर गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि पीड़िता के आरोप के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई. पीड़िता से बात किए बिना, बातों को रिकॉर्ड किए बिना, बिना एफआईआर के ही समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने जांच कर ली. आरोप को बेबुनियाद भी ठहरा दिया. हाईकोर्ट के संज्ञान का उन्होंने स्वागत भी किया है. साथ ही जांच की मांग (CPI Male State Secretary Demand Investigation) की है.

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भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि समाज कल्याण विभाग के जितने भी प्रदेश में आश्रय गृह हैं, सभी जगह माहौल जेल जैसा बना हुआ है. सरकार के अनुसार अगर वह सुधार गृह है तो इसे सुधार गृह के तौर पर विकसित किया जाना चाहिए. समाज कल्याण विभाग के सभी आश्रय गृह को इस प्रकार रखा गया है कि वह पूरी तरह बंद है. एकतरफा सिर्फ सरकार की देखरेख में है. अगर कुछ गड़बड़ी होती भी रहती है, तो समय पर कुछ पता नहीं चल पाता. ऐसे में भाकपा माले की सरकार से मांग है कि जितने भी समाज कल्याण विभाग के आश्रय गृह हैं, वहां स्थानीय स्तर की सामाजिक कार्यकर्ता, महिला संगठनों के सहज आने जाने की अनुमति दी जाए, ताकि वहां अगर कुछ गड़बड़ी हो तो समय पर पता चले और उसपर रोक लगाई जा सके.

उन्होंने कहा कि पीड़ित महिला के आरोप पर बिना एफआईआर के और बिना कोई जांच किए समाज कल्याण विभाग ने कह दिया कि कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है. ऐसे में यह भी संदेह बनता है कि वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में भी छेड़छाड़ हुई हो. इस पूरे मामले में प्रदेश की सरकार कटघरे में है. इस प्रकरण को देखकर लगता है कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड जिससे बिहार की पूरे देश और दुनिया भर में बदनामी हुई, उससे सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा है.

आपको बताएं कि गायघाट शेल्टर होम से निकलकर ज्योति (काल्पनिक नाम) ने वहां की संचालिका पर यौन शोषण से लेकर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया. आरोप लगाने के बाद मामले की जांच किए बगैर समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने सीधे तौर पर आरोप को बेबुनियाद और झूठा बता दिया और कहा कि आश्रय गृह में कोई भी गलत काम नहीं हुआ है. इसके बाद मामले पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया और सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई.

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