पटना:सीपीआई (Communist Party of India) नेता और जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) ने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया है. नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय ( AICC Headquarter ) में कन्हैया को पार्टी की सदस्यता दिलाई गई. इस मौके पर कांग्रेस नेता वेणु गोपाल, रणदीप सुरजेवाला, बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास और बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा मौजूद रहे.
कांग्रेस में शामिल होने के बाद कन्हैया ने राहुल गांधी का आभार व्यक्त किया. इस दौरान कन्हैया ने ये भी बताया कि उन्होंने कांग्रेस में क्यों शामिल हुए. इसके साथ ही उन्होंने भाकपा माले को भी धन्यवाद दिया.
कांग्रेस में शामिल होने पर अपनी पहली पीसी में कन्हैया कुमार ने कहा कि देश की सबसे लोकतांत्रिक पार्टी कांग्रेस में शामिल हुआ हूं. कांग्रेस नहीं बची, तो देश नहीं बचेगा. उन्होंने कहा, 'मुझे महसूस होता है कि इस देश में कुछ लोग, वो सिर्फ लोग नहीं है, वो एक सोच है. देश की चिंतन परंपरा, संस्कृति, मूल्स, इतिहास, वर्तमान और भविष्य खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. मैंने कहीं पढ़ा था कि आप अपने दुश्मन का चुनाव कीजिए, दोस्त अपने आप बन जाएंगे. तो मैंने चुनाव किया है. लोकतांत्रिक पार्टी में हम इसलिए शामिल होना चाहते हैं क्योंकि अब लगने लगा है कि अगर कांग्रेस नहीं बचा तो देश नहीं बचेगा.'
'मैं कांग्रेस में इसलिए शामिल हो रहा हूं क्योंकि मुझे ये महसूस होता है कि देश में कुछ लोग सिर्फ लोग नहीं हैं, वो एक सोच हैं. वो देश की सत्ता पर न सिर्फ काबिज़ हुए हैं, देश की चिंतन परंपरा, संस्कृति, मूल्य, इतिहास, वर्तमान, भविष्य खराब करने की कोशिश कर रहे हैं.'- कन्हैया कुमार, कांग्रेस नेता
'इस देश के लाखों-करोड़ों नौजवानों को ये लगने लगा है कि अगर कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा. हम कांग्रेस पार्टी में इसलिए शामिल हुए हैं क्योंकि कांग्रेस गांधी की विरासत को लेकर आगे चलेगी.' कन्हैया कुमार, कांग्रेस नेता
'इन्होंने ( कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी ) लगातार मोदी सरकार और हिटलरशाही की नीति के खिलाफ संघर्ष किया. हमारे इन साथियों को लगा कि ये आवाज और बुलंद हो पाएगी जब ये कांग्रेस और राहुल गांधी की आवाज में मिलकर एक और एक ग्यारह की आवाजज बन जाएगी.'-रणदीप सिंह सुरजेवाला, कांग्रेस
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बता दें कि कन्हैया सीपीआई के नेशनल एजक्यूटिव काउंसिल के सदस्य थे. 2016 में कन्हैया कुमार का जेएनयू अवतार काफी पॉपुलर हुआ था. राष्ट्रद्रोह कानून के खिलाफ आंदोलन, भड़काऊ भाषण, गिरफ्तारी के बाद कन्हैया वामपंथी राजनीति का नया चेहरा बनकर उभरे थे. जेएनयू से निकलने के बाद कन्हैया कुमार ने सीपीआई जॉइन की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बेगूसराय से बीजेपी के गिरिराज के खिलाफ ताल ठोंकी थी. करीब 22 प्रतिशत वोट हासिल करने के बावजूद वह हार गए थे. बेगूसराय में भूमिहार जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है और कन्हैया कुमार भी भूमिहार हैं.
2019 में चुनाव हारने से पहले तक कन्हैया कुमार प्रखर वक्ता के तौर पर देश में पहचाने जाते रहे. उन्होंने अपने भाषण में मोदी सरकार की नीतियों की जमकर बखिया उधेड़ी थी. मगर चुनाव के बाद वह पार्टी के भीतर ही विवादों के कारण निष्क्रिय हो गए. 2021 में बिहार प्रदेश कार्यालय सचिव इंदुभूषण वर्मा के साथ मारपीट के बाद उनकी पार्टी ने ही निंदा की थी. हैदराबाद में हुई नेशनल काउंसिल की बैठक में ये निंदा प्रस्ताव पारित किया गया था. उस बैठक में सीपीआई नेशनल काउंसिल के 110 सदस्य मौजूद थे. इनमें से सिर्फ तीन को छोड़कर, बाकी अन्य सभी ने कन्हैया के खिलाफ निंदा प्रस्ताव का समर्थन किया था.
इसके बाद कई मौके आए जब कन्हैया ने सीपीआई को भारतीय कन्फ्यूजन पार्टी बता दिया था. विधानसभा चुनाव में लेफ्ट पार्टियों ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. विधानसभा चुनाव में कन्हैया स्टार प्रचारक के तौर पर नजर नहीं आए. माना जाता है कि पार्टी में उपेक्षा से दुखी युवा वामपंथी नेता ने कांग्रेस का रुख किया है. बताया जाता है कि कन्हैया ने कैडर आधारित पार्टी सीपीआई में बने रहने के लिए सचिव का पद और टिकट बांटने का अधिकार मांगा था.
कन्हैया और राहुल गांधी की दो बार मुलाकात हो चुकी है. पिछले तीस साल से कांग्रेस में बिहार में अपना जनाधार तलाश रही है. विधानसभा चुनावों में गठबंधन के बाद पार्टी को सीट तो मिल जाती है मगर व्यापक जन समर्थन की कमी रहती है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस राजद के साथ गठबंधन के बाद 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, मगर इसे 19 सीटों पर ही कामयाबी मिली थी. पार्टी के केंद्रीय नेताओं का मानना है कि अभी बिहार में नीतीश कुमार और एनडीए पर हमला करने वाला युवा चेहरा नहीं है. इसके अलावा नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रस्तावित महा अभियान के लिए उसे ऐसे युवा नेताओं की जरूरत है, जिसे जनता पहचानती हो. साथ ही वह बेबाकी से अपनी बात रखता हो.
कांग्रेस नेतृत्व को लगता है कि छात्र नेता के तौर पर कन्हैया को संगठन का अनुभव है. आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ उनका भाषण नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाता है. कन्हैया भूमिहार जाति से आते हैं. कांग्रेस कन्हैया के जरिये इस जाति को दोबारा अपने साथ जोड़ना चाहती है. अभी बिहार का भूमिहार वोटर बीजेपी के साथ माने जाते हैं.