पटना: कोरोना महामारी से प्रदेश सहित पूरे देश में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गई थी. स्वास्थ्य सेवाओं में कई तरह के नए बदलाव आए हैं. कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए अस्पतालों में सामान्य तरीके से इलाज भी शुरू किया गया है. लेकिन अब भी लोग अस्पताल जाने से बच रहे हैं. बहुत जरूरी होने पर जाते हैं. पहले की तुलना में 50 फीसदी मरीज ही अस्पताल पहुंच रहे हैं.
गर्दनीबाग में पोस्टेड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विनय कुमार सिंह बताते हैं 'कोरोना के बाद से स्वास्थ्य सेवाओं में काम करने के तरीके में कई बदलाव आए हैं. पहले तमाम चीजें सामान्य तौर पर हुआ करती थी. लेकिन अब जो भी मरीज अस्पताल में आते हैं, सबसे पहले उनका टेंपरेचर जांच की जाती है. गार्ड के द्वारा प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही मरीज को एक-एक कर डॉक्टर के पास भेजा जाता है. अस्पताल में सभी के लिए मास्क अनिवार्य कर दिया गया है.'
पहले की तुलना में कम मरीज पहुंच रहे अस्पताल
डॉक्टर ने कहा 'कोरोना से पहले जहां प्रति माह 12 से 15 हजार मरीज अस्पताल में इलाज कराने आते थे. अब यह संख्या घटकर 4 से 5 हजार हो गई है. लॉकडाउन और उसके बाद कई महीनों तक मरीजों की संख्या नगण्य रही थी. लेकिन अब धीरे-धीरे सामान्य मरीजो की संख्या बढ़ने लगी हैं.
इलाज कराने पहुंची प्रियंका बताती है 'कोरोना काल के बाद अस्पताल आने से डर लगने लगा है, लेकिन मजबूरी में आना पड़ रहा है. अस्पताल में कई तरह के बदलाव दिख रहे हैं. समय-समय पर हाथ सेनेटाइज कराया जा रहा और सभी के लिए मास्क अनिवार्य है. रजिस्ट्रेशन कराने के बाद पेपर काउंटर से सीधे डॉक्टर के पास भेज दिया जा रहा है. डॉक्टर द्वारा मरीज का नाम पुकारने के बाद वे डॉक्टर के पास जा रहे हैं.'