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बिहार में बदलाव के साथ पटरी पर लौट रही है स्वास्थ्य सेवाएं - Health Services in Bihar

कोरोना को लेकर चरमराई स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर लौट रही है. हालांकि पहले की तुलना में 50 फीसदी मरीज ही अस्पताल पहुंच रहे हैं. लेकिन कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए इलाज सामान्य तरीके से किया जा रहा है.

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Published : Feb 3, 2021, 8:10 PM IST

Updated : Feb 4, 2021, 9:27 PM IST

पटना: कोरोना महामारी से प्रदेश सहित पूरे देश में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गई थी. स्वास्थ्य सेवाओं में कई तरह के नए बदलाव आए हैं. कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए अस्पतालों में सामान्य तरीके से इलाज भी शुरू किया गया है. लेकिन अब भी लोग अस्पताल जाने से बच रहे हैं. बहुत जरूरी होने पर जाते हैं. पहले की तुलना में 50 फीसदी मरीज ही अस्पताल पहुंच रहे हैं.

गर्दनीबाग में पोस्टेड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विनय कुमार सिंह बताते हैं 'कोरोना के बाद से स्वास्थ्य सेवाओं में काम करने के तरीके में कई बदलाव आए हैं. पहले तमाम चीजें सामान्य तौर पर हुआ करती थी. लेकिन अब जो भी मरीज अस्पताल में आते हैं, सबसे पहले उनका टेंपरेचर जांच की जाती है. गार्ड के द्वारा प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही मरीज को एक-एक कर डॉक्टर के पास भेजा जाता है. अस्पताल में सभी के लिए मास्क अनिवार्य कर दिया गया है.'

पहले की तुलना में कम मरीज पहुंच रहे अस्पताल
डॉक्टर ने कहा 'कोरोना से पहले जहां प्रति माह 12 से 15 हजार मरीज अस्पताल में इलाज कराने आते थे. अब यह संख्या घटकर 4 से 5 हजार हो गई है. लॉकडाउन और उसके बाद कई महीनों तक मरीजों की संख्या नगण्य रही थी. लेकिन अब धीरे-धीरे सामान्य मरीजो की संख्या बढ़ने लगी हैं.

बदली स्वास्थ्य सेवाएं...

इलाज कराने पहुंची प्रियंका बताती है 'कोरोना काल के बाद अस्पताल आने से डर लगने लगा है, लेकिन मजबूरी में आना पड़ रहा है. अस्पताल में कई तरह के बदलाव दिख रहे हैं. समय-समय पर हाथ सेनेटाइज कराया जा रहा और सभी के लिए मास्क अनिवार्य है. रजिस्ट्रेशन कराने के बाद पेपर काउंटर से सीधे डॉक्टर के पास भेज दिया जा रहा है. डॉक्टर द्वारा मरीज का नाम पुकारने के बाद वे डॉक्टर के पास जा रहे हैं.'

अस्पताल में कोरोना गाइडलाइन का हो रहा पालन
शास्त्री नगर अस्पताल में तैनात डॉ. कविता बताती है 'कोरोना महामारी ने स्वास्थ्य सेवा के काम करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है. आज भी कई मरीज अस्पताल आने से बचते हैं. वैसे मरीज टेलीफोन के माध्यम से डॉक्टरों से संपर्क कर चिकित्सीय सलाह ले रहे हैं. लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद भी कई महीनों तक खासतौर से गर्भवती महिलाओं को अस्पताल आने से बचने की हिदायत दी जा रही थी. हालांकि अब स्थिति सामान्य हो रहे हैं और कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मरीजों को अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं.'

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शास्त्री नगर अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे अविनाश कुमार ने व्यवस्था की तारीफ की और कहा 'अभी सरकारी अस्पतालों में मात्र 2 रुपये में रजिस्ट्रेशन कराने पर कोरोना जांच हो रही है. डॉक्टरों द्वारा सभी मरीजों को कोरोना की जांच कराने के लिये कहा जा रहा है. हालांकि बदली परिस्थिति में स्वास्थ्य सेवाओं के तरीके में कई बदलाव हुए हैं. रजिस्ट्रेशन काउंटर से मरीज को सीधे डॉक्टर के पास भेजा जाता है. पहले मरीज वेटिंग हॉल में एक साथ बैठा करते थे. लेकिन अब कम से कम लोगों का भीड़ एक जगह लगे इसका ध्यान रखा जा रहा है.'

सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों का आंकड़ा...

कोरोना महामारी से पहले राज्य भर में प्रति महीना सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में औसतन 61 लाख 70 हजार मरीज आते थे, जबकि वर्तमान में यह संख्या करीब 29 लाख 12 हजार हो गई है.

Last Updated : Feb 4, 2021, 9:27 PM IST

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