पटना: बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है'. यह टैग लाइन सूबे के हर जिलों के गली-मोहल्ले में दिखने को मिल जाती है. लेकिन बहार का आलम यह है कि जिस विकास की बयार की बात नीतीश कुमार कर रहे हैं. उस विकास के पायदान में बिहार का स्थान सबसे नीचे है. बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही है. वहीं, कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बाद बिहार की आम जनता को बचाना नीतीश सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. राज्य में संक्रमण के बेकाबू स्थिति से एक बार फिर सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया है.
नहीं मिल रहा मरीजों को बेड
कोरोना मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल पा रहा है. ऑक्सीजन सिलेंडर भी मुहैया नहीं हो पा रहा है. अब सवाल उठने लगा है कि आखिरकार पिछले 1 साल में बिहार सरकार ने इस महामारी से लड़ने के लिए क्या ठोस तैयारी की थी ? 1 साल में हजारों करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद मरीजों को बुनियादी सुविधा भी उपलब्ध क्यों नहीं हो पा रही है ?
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क्या झूठ बोलती है सरकार?
वहीं, कोरोना महामारी पहले बार अपना पांव पसार था तो बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने पुख्ता इंतजाम का दावा किया था. राजधानी पटना स्थित जिला अस्पताल में संक्रमित मरीजों के लिए अलग से बेड का इंतजाम किया गया था. राजधानी पटना में कई अस्थाई अस्पतालों का भी निर्माण किया गया था. जिला मुख्यालय में कई हॉल और निजी होटलों को भी आइसोलेशन सेंटर में तब्दील किया गया था.
सिर्फ राजधानी पटना के पाटलिपुत्र इनडोर स्टेडियम में 500 बेड का आइसोलेशन वार्ड और हज भवन में 200 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया था.आज इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं देखी जा रही है. जबकि सरकार द्वारा कहा जा रहा है कि स्थिति पिछले साल की तुलना में ज्यादा खतरनाक हो गया है.
पिछले साल जो की गई थी तैयारियां...
- पाटलिपुत्र स्टेडियम में 500 बेड का इंतजाम.
- हज भवन में 200 बेड का इंतजाम.
- पाटलिपुत्र अशोका होटल में 50 बेड की व्यवस्था.
- राज्य के सभी मेडिकल अस्पतालों में संक्रमित मरीजों के लिए 100-100 बेड की अलग से व्यवस्था.
- सभी जिला अस्पतालों में अतिरिक्त 50-50 बेड का इंतजाम.
- बड़े जिलों में निजी अस्पतालो में भी संक्रमित मरीजों के लिए अतिरिक्त बेड की तैयारियां करवाई गई थी.