पटना: देश के साथ ही बिहार में कोरोना के मामले एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं. अप्रैल के पहले ही हफ्ते में प्रदेश में 97 नए मामले सामने आए हैं. इनमें से सिर्फ पटना से ही 73 केस सामने आए. शुक्रवार देर रात गया में कोरोना से एक महिला मरीज की मौत भी हो गई है. इसके अलावा रोहतास में एक महिला में ओमिक्रॉन वैरिएंट का सब वैरिएंट XBB.1.16भी पाया गया है. चिकित्सकों का कहना है कि यह वेरिएंट संक्रामक तो अधिक है लेकिन घातक अधिक नहीं है. लेकिन जो लोग कोमोरबिडिटी (एक साथ कई बीमारी से जूझना) से जूझ रहे हैं उनके लिए यह वेरिएंट जानलेवा हो सकता है.
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अधिक संक्रामक है नया वेरिएंट XBB.1.16: आईजीआईएमएस के सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल का कहना है कि नया वेरिएंट XBB.1.16, मूल ओमिक्रॉन वेरिएंट से अधिक संक्रामक है लेकिन घातक कम है और गर्दन के नीचे इसका संक्रमण नहीं फैलता है. हालांकि संक्रमण अधिक गंभीर रूप से हो जाए तो यह गर्दन से नीचे उतर सकता है. लेकिन इस पर वैक्सीनेशन काफी असरदार नजर आ रहा है. जो लोग वैक्सीन का दोनों डोज और प्रिकॉशनरी डोज ले चुके हैं उनमें बहुत हल्का संक्रमण का लक्षण नजर आ रहा है.
"इसके लक्षण में भी स्वाद का जाना, गले में खराश, बदन दर्द, हल्का बुखार जैसे लक्षण शामिल हैं. इसे ठीक होने में 6 दिन से 21 दिन का समय लग सकता है. संक्रमण कितना जल्दी ठीक हो सकता है यह व्यक्ति के बॉडी के इम्यून सिस्टम पर डिपेंड करता है. कोरोना का कोई भी वेरिएंट हो वैक्सीनेशन बेहद कारगर साबित हुआ है."-डॉ मनीष मंडल, सुपरिटेंडेंट,आईजीआईएमएस
चिकित्सक समेत स्वास्थ्य कर्मी हुए इन्फेक्टेड: विगत 8 दिनों में आधे दर्जन से अधिक स्वास्थ्य कर्मी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, जिसमें 3 चिकित्सक भी शामिल हैं. हालांकि इनमें सभी में माइल्ड सिम्टम्स मौजूद हैं और घर पर होम आइसोलेशन में हैं. पटना जिला सिविल सर्जन डॉक्टर श्रवण कुमार का कहना है कि संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए जिले में मौजूद सातों पीएसए ऑक्सीजन प्लांट का उन्होंने निरीक्षण कराया है और सभी चालू हालत में हैं.
"अस्पताल में लोगों से अपील की जा रही है कि चेहरे पर मास्क लगाकर ही अस्पताल परिसर के अंदर प्रवेश करें और स्वास्थ्य कर्मी चेहरे पर मास्क लगाकर ही पेशेंट से डील कर रहे हैं. जांच की गति बढ़ाई गई है और लोगों से अपील की जा रही है कि संक्रमण के लक्षण महसूस हो रहे हैं. नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच कराएं और रिपोर्ट आने तक खुद को आइसोलेट रखें."- डॉक्टर श्रवण कुमार, सिविल सर्जन, पटना
कोरोना वैक्सीन उपलब्ध नहीं: विशेषज्ञ जहां कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन को सबसे अहम हथियार मान रहे हैं, वहीं प्रदेश में कई दिनों से वैक्सीनेशन का कार्य पूरी तरह ठप है क्योंकि पूरे प्रदेश में कहीं भी कोरोना वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. स्वास्थ विभाग के अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि 31 मार्च को लगभग 15000 वैक्सीन का डोज बर्बाद हो गया क्योंकि संक्रमण नियंत्रित होने पर लोगों में वैक्सीनेशन को लेकर का उत्साह खत्म हो गया था. लेकिन संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही वैक्सीनेशन के लिए लोगों की डिमांड आनी शुरू हो गई है.
'पैनिक की कोई स्थिति नहीं':स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि प्रदेश में वैक्सीनेशन ठप है क्योंकि वैक्सीन पूरी तरह खत्म है और वैक्सीन की डिमांड राज्य की तरफ से भारत सरकार को भेजा गया है और उम्मीद है कि जल्द ही 1 लाख डोज वैक्सीन का राज्य को उपलब्ध हो जाएगा. अभी पैनिक की कोई स्थिति नहीं है. स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है और पूरे देश में जितनी कोरोना की जांच हो रही है उसका एक तिहाई लगभग 30% जांच बिहार में हो रहा है.
"संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही जांच की रफ्तार तेज कर दी गई है. अभी पैनिक की स्थिति नहीं है इसलिए कोई गाइडलाइन नहीं जारी किया गया है लेकिन सभी स्वास्थ्य संस्थानों में लोगों से अपील किया जा रहा है कि चेहरे पर मास्क का प्रयोग करें और कोरोना संबंधित नियमों का पालन करें."-प्रत्यय अमृत,अपर मुख्य सचिव,स्वास्थ्य विभाग
कोरोना का आंकड़ा: विगत 8 दिनों में संक्रमण के नए मामलों में इजाफा हुआ है. 31 मार्च को बिहार में कुल मामले 9 थे जिसमें से 8 मामले सिर्फ पटना के थे. वहीं 1 अप्रैल 8 केस आए जिसमें से पटना से 6 मामले सामने आए. 2 अप्रैल को पूरे प्रदेश से 12 केस सामने आए थे, पटना के 10 मामले थे. 3 अप्रैल को 3 के आए जिसमें से 2 मामले राजधानी से आए. 4 अप्रैल को कुल 7 मामले बिहार में सामने आए जिसने से 6 केस पटना के थे. 5 अप्रैल 21 मामलों में से 18 मामले पटना के थे. वहीं 6 अप्रैल को बिहार में 17 एक्टिव केस आए पटना से 12 मामले थे और 7 अप्रैल को बिहार से 20 मामले प्रकाश में आए जिसमें से 11 मामले सिर्फ पटना में देखने को मिले.