बिहार

bihar

ETV Bharat / state

पटना के इस हॉस्पिटल में होता है जूतों का इलाज, कोरोना ने ठप किया फुटवियर का कारोबार - Footwear Shops

पटना में फुटवियर व्यवसाय में कोरोना ग्रहण लगा हुआ है. दुकानदारों की मानें तो अब वो ऑनलाइन मार्केट का बनाने में लगे हैं, ताकि उनका सेल का ग्राफ बढ़ें.

पटना से नीरज त्रिपाठी
पटना से नीरज त्रिपाठी

By

Published : Jun 30, 2020, 11:09 PM IST

पटना: कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू किए गये लॉकडाउन ने उद्योगपतियों की कमर तोड़कर रख दी है. कोई भी व्यवसाय ऐसा नहीं है, जिसे आर्थिक संकट का सामना न करना पड़ रहा हो. अनलॉक-2 की शुरूआत हो गई है. लेकिन अनलॉक-1 में कोरोना का डर ऐसा बना रहा कि लोगों ने खरीददारी नहीं की.

बात करें फुटवियर यानी जूतों-चप्पल के व्यवसाय की तो कारोबारियों ने जो कुछ बताया. वो ये बयां कर रहा है कि लोगों की जेब हल्की होने के साथ-साथ उनमें कोरोना का डर भी व्याप्त है. यही कारण है कि लोग अब खरीददारी कम कर रहे हैं. पटना स्थित कई फुटवियर की बड़ी-बड़ी दुकानों में सन्नाटा पसरा हुआ है. एक दो ग्राहक आ रहे हैं.

पटना से नीरज त्रिपाठी की रिपोर्ट

पटना में फुटवियर मार्केट

  • पटना में जूतों-चप्पल की तकरीबन 800 से ज्यादा छोटी बड़ी दुकानें हैं.
  • राजधानी के रिहायशी इलाकों में 300 से ज्यादा ब्रांडेंड फुटवियर शोरूम हैं.
  • दुकानों में काम करने वाले 2 हजार 500 लोग हैं.
    दुकानों में सन्नाटा

वेतन देने में समस्या
दुकानदारों की मानें तो लॉकडाउन के दौरान बंद रही दुकानों का किराया देने के साथ-साथ बिजली का बिल भी भरने में मुसीबत हुई. इनकम कुछ हुई नहीं. वहीं, अपने यहां काम कर रहे लोगों को वेतन देने के लिए काफी की आफत आन पड़ी. किसी तरह वेतन दिया है. लेकिन हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं.

क्या करें दुकानदार

स्कूल खुलते तो मिलती राहत
संक्रमण के खतरे को देखते हुए स्कूल भी बंद हैं. इससे जूता उद्योग भी प्रभावित हो रहा है. इस सीजन में स्कूली शूज काफी बिकते थे. दुकानदार अंजुम खान कहते हैं कि स्कूल खुलते ही जूतों की ब्रिक्री अच्छी खासी हो जाती थी. लेकिन जहां शादी पार्टियां नहीं हो रही हैं. वहीं, स्कूलों की बंदी हमारी मंदी का कारण बन गई है.

दुकानों की शोभा बढ़ा रहे जूते

शूज हास्पिटल के हाल
स्टेशन रोड, करबिगहिया में कई दशकों से अपने शू हॉस्पिटल चला रहे शूज स्पेशलिस्ट डॉ. डोमन दास कहते हैं कि ऐसे हालात उन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं देखे थे. इस लॉकडाउन के दौरान ऐसी स्थिति आ गई थी कि वे अपने गो डाउन में मौजूद कारीगरों के साथ दाने-दाने को मोहताज हो गए. हालांकि, लागू हुए अनलॉक वन में उन्हें बाजार सुधरने की कुछ उम्मीदें दिख रही है.

चप्पलों का स्टॉक कब होगा खत्म?

'विकल्प तलाशा है, अवसर मिलेंगे'
दुकानदारों की मानें, तो कोरोना के डर से लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं. ऐसे में ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए जूतों की बिक्री का विकल्प बनाया गया है. होम डिलीवरी भी की जा रही है. लोग धीरे-धीरे इस ऑनलाइन माध्यम से जूते खरीद रहे हैं. आशा है कि सेल का ग्राफ बढ़ेगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details