पटना : बिहार में एक तरफ जहां कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं तो दूसरी तरफ जांच की रफ्तार काफी कम होते जा रही है. वह भी तब जब प्रदेश में हर 6 लोगों में एक की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है. स्वास्थ्य विभाग से दी जानकारी के मुताबिक मंगलवार को राज्य में 14794 नए मरीजों की पुष्टि हुई. जिसमें अकेले पटना में ही 2681 संक्रमित मिले हैं. 24 घंटे में 105 लोगों की जान गई है. ऐसे में जांच कम होना चिंता का विषय बना हुआ है.
बिहार में कोरोना जांच की रफ्तार हुई कम
सीएम नीतीश कुमार निर्देश दे रहे हैं कि गंभीरता को देखते हुए अधिक से अधिक संक्रमण का पता लगाया जाए और इसके लिए प्रतिदिन कम से कम एक लाख जांच हो बावजूद लक्ष्य से 28000 जांच कम की जा रही है. कोरोना जांच कम होने पर कोई वरीय अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. राज्य के कई जिलों से लगातार शिकायतें मिल रही है कि अब जांच की रफ्तार धीमी कर दी गई है.
जांच की रफ्तार हुई धीमी, रिकवरी रेट में बढ़ोतरी
सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि कोरोना जांच कम होने से एक दिन में ही प्रदेश का रिकवरी रेट 77.36% से बढ़कर 78.29% हो गया है. आईएमए के वाइस प्रेसिडेंट डॉक्टर अजय कुमार का कहना है कि सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना जांच की सुविधा बढ़ाने की जरूरत है और खासकर आरटीपीसीआर टेस्ट की.
''संक्रमण जिस प्रकार से प्रदेश में फैल रहा है इसे कंट्रोल करने के लिए एकमात्र उपाय है संक्रमितों का पता लगाकर उन्हें आइसोलेट करना और इसके लिए अधिक से अधिक जांच की जरूरत है. प्रदेश में अभी के समय आरटीपीसीआर जांच लैब को भी बढ़ाने की जरूरत है''-डॉक्टर अजय कुमार, वाइस प्रेसिडेंट, आईएमए
ग्रामीण क्षेत्रों में जांच तेज करने की जरूरत
पटना के फिजियोथेरेपिस्ट चिकित्सक डॉक्टर राजीव कुमार ने कहा कि कोरोना संक्रमण से सभी लोग जूझ रहे हैं. ऐसे में अभी के समय अधिक से अधिक जांच कर संक्रमण के बारे में पता लगाने की जरूरत है. जब तक ट्रेसिंग नहीं होगी हम संक्रमण को कंट्रोल करने में सफल नहीं हो पाएंगे.