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बिहार के दूसरे एम्स पर ग्रहण! पहले जमीन के कारण विवाद.. अब दरभंगा या सहरसा में बनने को लेकर झमेला

बिहार का दूसरा एम्स कहां बने, इसको लेकर विवाद जारी है. जेडीयू के अंदर भी खींचतान देखने को मिल रहा है. बाहुबली आनंद मोहन भी इस लड़ाई में कूद पड़े हैं और सहरसा में एम्स निर्माण की मांग कर रहे हैं. ऐसे में बिहार के दूसरे एम्स पर फिलहाल ग्रहण लगता दिख रहा है. पढ़ें दूसरे एम्स निर्माण को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ...

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Published : Aug 2, 2023, 9:08 PM IST

बिहार के दूसरे एम्स पर ग्रहण!

पटना:बिहार के दूसरे एम्स के निर्माण पर लगा ग्रहणसमाप्त नहीं हो रहा है. बिहार सरकार ने दरभंगा में एम्स बनाने का फैसला लिया था लेकिन अब सहरसा में एम्स बने इसकी मांग होने लगी है. जदयू में भी दरभंगा और सहरसा को लेकर दो खेमा हो गया है.

पढ़ें- Darbhanga AIIMS ही नहीं दूसरे प्रोजेक्ट भी केंद्र-राज्य के विवाद में उलझे, 2024 में चुनावी मुद्दा बनना तय

कहां बनेगा बिहार का दूसरा AIIMS?: नीतीश कुमार के नजदीकी मंत्री संजय झा चाहते हैं कि एम्स दरभंगा में ही हर हाल में बने. वहीं जदयू के मधेपुरा के सांसद दिनेश चंद्र यादव ने सहरसा में एम्स बनाने को लेकर प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंप दिया है. इस मसले पर अब बाहुबली आनंद मोहन के कूदने के कारण नया विवाद शुरू हो गया है. दरभंगा एम्स पिछले कई सालों से जमीन विवाद के कारण लटका रहा और अब नया विवाद दरभंगा की जगह सहरसा बनाने से शुरू हो गया है.

दरभंगा और सहरसा के बीच फंसा पेंच: बिहार के दूसरे एम्स की स्वीकृति नरेंद्र मोदी की सरकार ने साल 2015-16 के बजट में ही दे दी थी. कुल 7 नए एम्स बनाने का निर्णय उस समय लिया गया था. अधिकांश जगह एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हो गई है, लेकिन बिहार के दरभंगा में एम्स बनाने का मामला अभी तक नहीं सुलझा है. केंद्र सरकार में बजट में घोषणा के बाद बिहार सरकार की ओर से दरभंगा में एम्स बनाने का फैसला लिया गया. उस समय भी भागलपुर के नाम की चर्चा हो रही थी. वहीं अश्विनी चौबे चाहते थे कि भागलपुर में एम्स बने, लेकिन नीतीश सरकार ने दरभंगा में बनाने का फैसला लिया.

जमीन पर जलजमाव को लेकर विवाद: 15 दिसंबर 2020 में केंद्रीय कैबिनेट ने दरभंगा एम्स की स्वीकृति दे दी और इसके लिए 1264 करोड़ की मंजूरी दे दी है. केंद्र सरकार की ओर से बिहार सरकार को जमीन स्थानांतरण करने का जल्द से जल्द निर्देश दिया गया. बिहार सरकार ने पहले डीएमसीएच में दरभंगा एम्स बनाने का फैसला लिया था. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले साल अपनी यात्रा के दौरान नए जगह पर दरभंगा एम्स बनाने की घोषणा कर दी और उसके लिए शोभना बाईपास पर डेढ़ सौ एकड़ जमीन चिह्नित किया गया. लेकिन जमीन पर जलजमाव लगने का मामला जोर शोर से उठा. विधान परिषद में भी कांग्रेस के सदस्य प्रेमचंद्र मिश्रा ने इस मुद्दे को उठाया.

दरभंगा में एम्स बनाने को लेकर जेडीयू में दो फाड़ : बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने क्षेत्र का जाकर दौरा भी किया. कैबिनेट में इस साल अप्रैल में 309 करोड़ रुपए मिट्टी भराई के लिए स्वीकृति दी गई. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से दरभंगा के लिए इस जमीन की स्वीकृति नहीं दी गई. दरभंगा में एम्स बने, नीतीश कुमार भी चाहते हैं और उनसे भी अधिक उनके नजदीकी मंत्री संजय झा पूरी ताकत लगा रहे हैं. ऐसे बीजेपी के सांसद गोपाल ठाकुर भी चाहते हैं कि दरभंगा में जल्द से जल्द एम्स बने. लेकिन संजय झा दरभंगा एयरपोर्ट के साथ दरभंगा एम्स श्रेय लेना चाहते हैं लेकिन जमीन के कारण पिछले 3 सालों से यह मामला लटका हुआ है.

ईटीवी भारत GFX.
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पिछड़ गया बिहार: बता दें कि देश के सात एम्स बनाने का जो फैसला लिया गया था, उसमें से मदुरई बीवी नगर राजकोट और जम्मू में पढ़ाई शुरू हो गई है. ओपीडी सेवा भी चलाया जा रहा है. वहीं अवंतीपुरा में कंस्ट्रक्शन का काम शुरू हो गया है.

सहरसा में एम्स बनाने की JDU MP की मांग:बिहार के दूसरे एम्स निर्माण को लेकर अभी जमीन का विवाद सुलझा भी नहीं था कि इसी बीच सहरसा में एम्स बनाने की मांग उठने लगी है. मधेपुरा के जदयू के सांसद दिनेश चंद्र यादव ने 20 सांसदों का सिग्नेचर करा कर एक ज्ञापन प्रधानमंत्री को दे दिया है. जिसमें उन्होंने कहा कि सहरसा में 215 एकड़ जमीन एम्स निर्माण के लिए उपलब्ध है. ज्ञापन में सिग्नेचर करने वालों में जदयू सांसदों के अलावा बीजेपी के भी कई सांसद शामिल थे.

सहरसा में एम्स बनाने की JDU MP की मांग

दरभंगा एम्स को लेकर जदयू में ही खेमेबाजी शुरू हो गई. अब सहरसा में एम्स का निर्माण हो इसकी मांग बाहुबली आनंद मोहन ने भी शुरू कर दी है. इसको लेकर सहरसा बंद भी कराया गया है, जिसमें सभी दल के नेता शामिल हुए थे. जमीन विवाद से आगे निकलकर अब दरभंगा और सहरसा के बीच विवाद शुरू होने लगा है. हालांकि अभी तक नीतीश कुमार ने इस मामले में अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है. लेकिन संजय झा का साफ कहना है कि मुख्यमंत्री का फैसला दरभंगा में ही एम्स निर्माण का है.

"दरभंगा में ही एम्स बनेगा. हर सांसद और जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में मांग कर सकता है."- संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार सरकार

दरभंगा के सांसद गोपाल जी ठाकुर ने फोन से हुई बातचीत में कहा कि नीतीश सरकार दरभंगा एम्स को लंबे समय से लटका कर रखी है. आगे भी लटका कर ही रखना चाहती है. 2015-16 में जब केंद्रीय बजट में स्वीकृति मिल गई, उसके बाद नीतीश कुमार ने गंभीरता नहीं दिखाई.

"2020 में जब केंद्रीय कैबिनेट ने भी स्वीकृति दे दी तो पहले नीतीश कुमार ने डीएमसीएच की जमीन देने का कैबिनेट में फैसला ले लिया. जमीन भराई का काम भी शुरू हो गया है लेकिन बाद में वहां बनाने से मुकर गए और फिर नयी जमीन अलॉट कर दी. केंद्र सरकार ने उसे स्वीकार नहीं कर रही है क्योंकि वह एम्स के लायक जमीन नहीं है. नीतीश कुमार इसे लटकाए रखना चाहते हैं."- गोपाल जी ठाकुर, सांसद

बीजेपी के अंदर भी खींचतान: वहीं बीजेपी के कुछ नेता दरभंगा में चाहते हैं एम्स बने तो वहीं कुछ बीजेपी के नेता जो कोशी क्षेत्र से आते हैं चाहते हैं सहरसा में बने. बाहुबली आनंद मोहन के सहरसा बंद में बीजेपी के भी विधायक आलोक रंजन शामिल हुए थे. बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि सभी जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में ही बड़ी योजना का निर्माण हो यह चाहते हैं.

"अपने क्षेत्र के विकास के बारे में सोचने में कोई बुराई नहीं है. लेकिन एम्स तो एक ही स्थान पर बनेगा. देश के कई राज्यों में एम्स है लेकिन बिहार में नरेंद्र मोदी ने दूसरा एम्स देने का फैसला लिया लेकिन जमीन के कारण लटका हुआ है."-प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता बीजेपी

"एम्स निर्माण के लिए कुछ मापदंड है. दरभंगा में एम्स बने कांग्रेस सहित सभी दल के नेता चाहते हैं लेकिन बीजेपी राजनीति कर रही है. दरभंगा से सहरसा ले जाने की कोशिश हो रही है लेकिन एम्स के मापदंड में एयरलिंक दरभंगा में है. दरभंगा में एम्स बनाने के लिए सभी दल राजनीति छोड़ एक साथ आएं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नियत पर कोई शक नहीं है."- प्रेमचंद्र मिश्रा, एमएलसी कांग्रेस

"सहरसा के साथ लगातार उपेक्षा की जा रही है, जबकि सहरसा में पर्याप्त जमीन है. इंजीनियरिंग कॉलेज भी सहरसा से मधेपुरा में चला गया. उस क्षेत्र के लोगों की मांग है एम्स सहरसा में ही बने और सभी दल के लोग इसमें शामिल हैं."-चेतन आनंद, आनंद मोहन के बेटे

जमीन के साथ क्षेत्र का विवाद: बिहार में ऐसे भी बड़े परियोजनाओं पर जमीन का ग्रहण लटकता रहा है. पटना में बने पहले एम्स पर भी जमीन के कारण ग्रहण लगता रहा और कई साल एम्स के बनने में लगे. अब दरभंगा एम्स की कमोबेश वही स्थिति है, लेकिन दरभंगा एम्स में अब जमीन के साथ क्षेत्र का विवाद भी शुरू हो गया है.

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