पटना:कोरोना वायरस संक्रमण की बेकाबू रफ्तार के बीच महानगरों और बड़े शहरों से प्रवासी मजदूरों का पलायन इस साल भी जारी है. बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों पर भीड़ बढ़ने लगी है, जो 2020 में लॉकडाउन के बाद के हालात की याद दिलाता है. एक बार फिर कोविड-19 के बिगड़ते हालात के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र सरकार देश में लॉकडाउन की पक्षधर नहीं है. उन्होंने राज्यों से अपील कि है लॉकडाउन को अंतिम विकल्प के रूप में इस्तेमाल करें.
पीएम ने प्रवासियों के लिए स्थानीय अधिकारियों को व्यवस्था उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. पीएम ने देश के नाम संबोधन में प्रवासियों से नहीं घबराने की अपील की है. उन्होंने कहा कि उन्हें हर संभव मदद किया जाएगा. वहीं, नीतीश कुमार ने कुछ दिन पहले ही बाहर रहने वाले लोगों से अपील की है कि जिन्हें बिहार वापस आना है. वे जल्द लौट आएं. अब विपक्ष के नेताओं का कहना है कि बाहर रहने वाले लोग किसकी बात मानें. अगर प्रवासी बिहार लौटते हैं तो उनके लिए बिहार कितना तैयार है.
'डबल इंजन की सरकार में लोगों में कंफ्यूज क्यों'
राजनीतिक विरोधाभासी बयानों के बीच प्रवासियों का बिहार आना जारी है. बड़ी संख्या में विभिन्न जगहों से ट्रेनें बिहार के लिए चलाई जा रही हैं. राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल पूछा है कि आखिर 'डबल इंजन' की सरकार लोगों को कंफ्यूज क्यों कर रही है. कोविड-19 संक्रमण के इस मुश्किल भरे दौर में लोग पहले से ही परेशान हैं ऊपर से केंद्र और राज्य के विरोधाभासी बयानों से प्रवासी और ज्यादा संकट में पड़ेंगे.
विपक्ष का सवाल- कितना तैयार बिहार?
आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने सवाल पूछा है कि बिहार सरकार को यह बताना चाहिए कि प्रवासियों के लिए बिहार ने क्या तैयारी की है. पिछली बार जो लोग आए उन्हें तो सरकार रोजगार नहीं दे पाई. वहीं, राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी अपनी जगह सही हो सकते हैं. लेकिन मुद्दा तो यही है कि लोग किसकी बात मानें.