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7 अगस्त को महागठबंधन का प्रतिरोध मार्च, गिले शिकवे भूल RJD के साथ सड़कों पर उतरेंगे कांग्रेस नेता - etv news

आरजेडी और कांग्रेस की बीच की दूरी अब खत्म हो गई है. 7 अगस्त को महागठबंधन ने बिहार में प्रतिरोध मार्च का ऐलान किया है. इसमें आरजेडी लेफ्ट के साथ ही कांग्रेस के नेता (Congress Will Join Pratirodh March With RJD) भी शामिल होंगे. महागठबंधन ने पर्चा जारी किया है जिसमें आरजेडी के शीर्ष नेताओं के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की भी तस्वीर है. पूरी खबर..

Mahagathbandhan Pratirodh March
Mahagathbandhan Pratirodh March

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Published : Aug 1, 2022, 2:05 PM IST

पटना: बिहार में आरजेडी कई बार डबल इंजन की सरकार खासकर बीजेपी को घेरने की कोशिश करती रही है. इसके लिए अबतक विभिन्न मुद्दों को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) सड़कों पर भी उतरकर अपना विरोध जता चुके हैं. अब महागठबंधन की ओर से 7 अगस्त (Pratirodh March On August 7 In Bihar) को हर जिला मुख्यालय मेंप्रतिरोध मार्च ( Mahagathbandhan Pratirodh March ) करने का ऐलान किया गया है. इसके लिए पर्चा जारी किया गया है. इस पर्चे में राजद के नेता तेजस्वी यादव, लालू यादव, राबड़ी देवी की फोटो के साथ ही लेफ्ट के नेताओं की तस्वीर है और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की भी तस्वीर है.

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7 अगस्त को महागठबंधन का प्रतिरोध मार्च: इससे पहले के आंदोलनों में महागठबंधन के बीच की दरार साफ तौर पर नजर आ रही थी. बिहार विधान परिषद चुनाव (Bihar Legislative Council Election) के दौरान सीट शेयरिंग को लेकर आरजेडी कांग्रेस के बीच विवाद काफी गहरा हो गया था. राजद अपने दम पर विधान परिषद का चुनाव था. अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) को लेकर 22 जून को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav) ने महागठबंधन के घटक दलों के साथ राजभवन मार्च किया था लेकिन कांग्रेस ने आरजेडी से दूरी बना ली थी. कांग्रेस के नेताओं ने इस आंदोलन से दूरी पर गोलमोल जवाब दिया था. इस पर कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा (Congress MLC Prem Chandra Mishra) ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि राष्ट्रीय जनता दल ने इस कार्यक्रम के लिए कांग्रेस को क्यों नहीं बुलाया इसका जवाब राष्ट्रीय जनता दल के नेता ही दे सकते हैं.

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कांग्रेस और आरजेडी में एकजुटता: पिछले कुछ समय से कांग्रेस और आरजेडी के बीच की तल्खी काफी बढ़ गई थी. कांग्रेस के कई नेता महागठबंधन धर्म का उल्लंघन करने का आरोप भी आरजेडी पर लगाया था. हाल के दिनों में जब यशवंत सिन्हा विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने तब मौर्या होटल में हुई विपक्ष की बैठक में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा उपस्थित हुए थे. वहीं राहुल गांधी और सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ पर आरजेडी ने चुप्पी साधे रखा. कांग्रेस ने अकेले धरना- प्रदर्शन किया. माना जा रहा है कि अब जब कांग्रेस और राजद के शीर्ष नेताओं पर सीबीआई और ईडी की दबिश तेज है तब यह एकजुटता फिर से दिख रही है. अब आरजेडी, लेफ्ट के साथ ही कांग्रेस भी एकजुट होकर आंदोलन करने की तैयारी में है.

चलाया जा रहा संयुक्त अभियान: जन सारोकार से जुड़े ज्वलंत मुद्दों को लेकर महागठबंधन पूरे राज्य में प्रतिरोध मार्च का आयोजन करेगा. राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बताया कि सभी जिला मुख्यालयों पर होने वाला प्रतिरोध मार्च ऐतिहासिक होगा और बड़ी संख्या में आम लोग इसमें शामिल होंगे. कार्यक्रम को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने के लिए सभी जिलों में महागठबंधन द्वारा संयुक्त अभियान चलाया जा रहा है. निचली इकाइयों से लेकर प्रदेश स्तर पर संयुक्त रूप से और दल के स्तर पर भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा लगातार समीक्षा की जा रही है.

इन मुद्दों पर होगा सरकार का घेराव:राजद प्रवक्ता ने कहा कि प्रतिरोध मार्च के माध्यम से केन्द्र और राज्य सरकार से बिहार को सुखाग्रस्त घोषित करने, कृषि कार्य के लिए चौबीस घंटे फ्री बिजली उपलब्ध कराने, जीएसटी वापस लेने, महंगाई पर रोक लगाने, किसानों को पांच लाख तक का लोन माफ करने और गैर आयकरदाताओं को प्रतिमाह 7500 रुपया देने , सभी कार्डधारी को अनाज उपलब्ध कराने की गारंटी देने और राशनकार्डों को रद्द करना बंद करने जैसे मुद्दे पर सरकार को घेरेगी.

अग्निपथ योजना को लेकर भी विरोध: उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा अग्निपथ योजना वापस लेकर सेना भर्ती की पुरानी व्यवस्था लागू करने, रिक्त पड़े पदों पर अविलंब बहाली करने, मनरेगा लूट पर रोक लगाने, शहरी बेरोजगार योजना लागू करने, बुलडोजर राज पर रोक लगाने और बगैर वैकल्पिक व्यवस्था के गरीबों का घर उजाड़ने पर रोक लगाने, आतंकवाद और देश विरोधी गतिविधियों को धर्म से जोड़ कर धार्मिक धुर्वीकरण की नीति बंद करने साथ हीं नफरत की राजनीति पर रोक लगाने, साम्प्रदायिक हिंसा से तबाह हुए लोगों को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं पर से झूठे मुकदमे वापस लेने, विरोधी दलों के नेताओं को परेशान और प्रताड़ित करने की नीति पर अविलंब रोक लगाने के साथ ही अपने राजनीतिक लाभ के लिए केन्द्रीय एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल बंद करने की मांग की गई है.


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