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नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा सत्ता लोभी राजनेता: कांग्रेस

आखिरकार लंबे इंतजार और अटकलों के बाजार के बीच आज केंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जदयू में विलय हो गया. उपेंद्र कुशवाहा के जदयू में शामिल होने के साथ ही बिहार की सियासत गरमा गई है. कांग्रेस का मानना है कि दोनों मौकापरस्त नेता है और सत्ता के लोभ में एक साथ हो गए हैं.

पटना
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Published : Mar 14, 2021, 6:07 PM IST

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद जेडीयू ऑफिस में उपेंद्र कुशवाहा का स्वागत करते हुए उन्हें जदयू के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष भी घोषित कर दिया. कांग्रेस प्रवक्ता आशीष नाथ तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा सत्ता लोभी राजनेता है. जब 2005 में नीतीश कुमार की पार्टी से हुए विधानसभा चुनाव हार गए तो एनसीपी का दामन थामा. 2010 में भी वे जदयू में वापसी कर चुके हैं, लेकिन बाद के दिनों में नीतीश कुमार से अलग होकर अपनी रालोसपा का गठन किया था.

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'ये सिर्फ अपने फायदे के लिए काम करते हैं. उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा इसी तरह कई बार पार्टियों को छोड़ नई पार्टी बनाने का काम पहले भी कर चुके हैं'-आशीष नाथ तिवारी, कांग्रेस प्रवक्ता

कांग्रेस का उपेंद्र कुशवाहा पर तंज

'उपेंद्र कुशवाहा सिर्फ मौकापरस्त'
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा सिर्फ मौकापरस्त की राजनीति समझते हैं. आज जो उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार को अपना बड़ा भाई और नेता बता रहे हैं, वह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इसी नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने के कारण वहां से अलग हो गए थे. कब तक ये जदयू का साथ निभाएंगे ये तो वक्त ही बताएगा.

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