पटना: बिहार में सरकारी स्कूलों में शिक्षा देने के लिए बहाल शिक्षकों के कंधे पर पढ़ाने के अलावा ढेर सारी जिम्मेदारियां हैं. प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्कूलों तक शिक्षकों से तमाम तरह के गैर शैक्षणिक कार्य किए जाते हैं. यानी पढ़ाई कम और गैर शैक्षणिक कार्यों में ज्यादा लगे रहते हैं. बिहार के सरकारी शिक्षक और फिर भी शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शिक्षा मंत्री बिहार के नियोजित शिक्षकों को कोस रहे हैं.
नियोजित शिक्षकों पर कई टिप्पणियां
जानकारी के मुताबिक, पिछले दिनों बेगूसराय में एक कार्यक्रम के दौरान बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने नियोजित शिक्षकों पर सार्वजनिक तौर पर कई टिप्पणियां की. उन्होंने सीधे-सीधे कहा कि पिछले 15 साल में बिहार की शिक्षा को नियोजित शिक्षकों ने बर्बाद कर दिया और अब वह ऐसा नहीं होने देंगे. शिक्षा मंत्री के इस बयान पर शिक्षक अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें-इको पार्क पहुंचे तेजस्वी यादव, शिक्षक अभ्यर्थियों से कर रहे मुलाकात
'शिक्षा मंत्री के इस बयान से खुद उनके अधिकारियों और सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं. जब सरकार की ओर से ही आदेश निकाला जाता है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाया जाए, फिर उनके अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते और शिक्षकों को 30 से ज्यादा गैर शैक्षणिक कार्यों में अलग-अलग जगह पर लगाया गया है. इसके बाद भी सरकार शिक्षकों से उम्मीद करती है कि स्कूलों में पढ़ाई हो. वहीं, दावा किया कि स्कूलों में शिक्षकों की घोर कमी है फिर भी सरकार शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाती है और फिर सारा दोष भी उन्हीं पर मढ़ती है.- शैलेंद्र कुमार, सेवानिवृत्त शिक्षक
शैलेंद्र कुमार, सेवानिवृत्त शिक्षक शिक्षकों के जिम्मे कौन-कौन से काम - शिक्षक नियोजन
- शौचालय गणना
- पोशाक वितरण
- मिड डे मील बनवाना
- वृक्षारोपण कराना
- चुनाव ड्यूटी करना
- जनगणना करना
- रैपिड सर्वे कराना
- बच्चों को घर से बुलाना
- विद्यालय की सफाई कराना
- बीएलओ ड्यूटी में भाग लेना
- बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी
- स्कूल चलो अभियान
- शिक्षण कार्य
- विद्यालय अभिलेख तैयार करना
- मिड डे मील के खाते का प्रबंधन
- ग्राम शिक्षा समिति की बैठक में भाग लेना
बता दें कि शिक्षा मंत्री के बयान पर कांग्रेस ने भी आपत्ति जताई है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि शिक्षा मंत्री को इस बात का जवाब देना चाहिए कि वह नियोजित शिक्षकों पर सवाल खड़े कर रहे हैं या खुद अपने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जिन्होंने नियोजित शिक्षकों को बहाल किया. कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर आप शिक्षकों से पढ़ाई के अलावा सारा काम कराएंगे और फिर भी यह उम्मीद करेंगे कि स्कूलों में पढ़ाई हो तो यह कैसे संभव है. राजेश राठौर ने कहा कि शिक्षकों को तमाम तरह की सुविधाएं पहले सरकार को देनी चाहिए और उन्हें सिर्फ शैक्षणिक कार्यों में लगाना चाहिए तभी आप उनसे बेहतर शिक्षा की उम्मीद कर सकते हैं.