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चुनावी नैया पार लगाने के लिए कांग्रेस ने कोरोना को बनाया पतवार, सरकार की गिनवा रही नाकामी - rahul gandhi

बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव ने कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है. ऐसे अब पार्टी के नेता जनता के सामने नीतीश सरकार की नाकामी गिनवाने में जुट गए हैं.

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Published : Jul 23, 2020, 4:00 PM IST

पटना: बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर संशय जारी है. कोरोना काल में एक ओर जहां चुनाव आयोग समय पर चुनाव कराने के लिए कमर कसे हुए है, वहीं दूसरी ओर कई ऐसे विरोधी सियासी दल भी हैं जो चाहते हैं चुनाव टाले जाएं. हालांकि फैसला जो भी हो, लेकिन कांग्रेस के लिए कोरोना सियासी नाव की पतवार बन गई है.

लॉकडाउन ने बढ़ाई मुश्किलें
सरकार की तरफ से लागू 16 जुलाई से लॉकडाउन के बाद से कांग्रेस की गतिविधियां ठप पड़ गईं थीं. हालांकि इसी महीने 7 से 9 जुलाई को राज्यसभा सांसद और बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने तीन दिनों तक मैराथन बैठक कर पार्टी नेताओं को चुनाव से जुड़ी कई जिम्मेदारियां सौंपी. पार्टी के बुजुर्ग नेताओं को जिलों का प्रभारी बना दिया. साथ ही हिदायत दी गई कि फील्ड में जाएं और कांग्रेस की जमीनी मजबूती का आकलन कर गोपनीय रिपोर्ट आलाकमान को दें. लेकिन, लॉकडाउन ने पार्टी के बुजुर्ग नेताओं को उनके पांवों में जंजीरें पहना दीं. उनके सामने एक साथ दो बंदिशें आ गईं, पहली उम्र तो वहीं दूसरा लॉकडाउन.

बातचीत करते कांग्रेस पार्टी के नेता

राहुल गांधी ने दिखाई नई राह
ये समय कांग्रेसियों के लिए मुश्किल भरा है. ऐसे में इन नेताओं को कोई राह नजर नहीं आ रही थी, तभी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के एक ट्वीट कर नई राह दिखाई है. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कोरोना को लेकर प्रदेश की नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. राहुल गांधी के इस ट्वीट ने कांग्रेसियों को एक नया रास्ता दिखाया है. अब कांग्रेस पार्टी कोरोना को मुद्दा बना रही है. राहुल के ट्वीट के बाद आज पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने कोरोना का हवाला देकर तीन अगस्त से प्रस्तावित बिहार विधान मंडल का सत्र स्थगित करने की मांग उठा दी है.

कोरोना को बनाया मुद्दा
विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि ये मुश्किल समय है. सरकार को दूसरे तमाम काम रद कर कोरोना से लड़ाई पर अपना ध्यान लगाना चाहिए. इसके पहले वे चुनाव कराने को लेकर सर्वदलीय राय बनाने की बात कह चुके हैं. कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की ओर से जिलों को ऐसे निर्देश दिए गए हैं कि स्थानीय नेता कोरोना को लेकर सरकार पर हमलावर हो जाएं.

सरकार की नाकामी गिनवाने में जुटी पार्टी
जिलाध्यक्ष ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को कोरोना में सरकार की नाकामी बताएं. दूसरी ओर सोशल मीडिया विंग को हिदायत दी गई है कि वह सोशल साइट्स पर कोरोना को नियंत्रित करने में सरकार कैसे विफल हुई है उसे उजागर करें. कांग्रेस अपने मकसद में कितना सफल होगी यह बहस का मुद्दा हो सकता है, परंतु इतना तो तय है कि चुनाव काल में ठंडी पड़ी कांग्रेस ने कोरोना को सियासी पतवार बनाने का फैसला कर लिया है.

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