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'हाईकोर्ट अगर गंभीर ना हो तो बिहार में विकास का बंटाधार तय है'

बिहार कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि वर्तमान सरकार निरंकुश हो गई है और उनके अफसरों को विकास से कोई सरोकार नहीं रह गया है. हर मामले पर सरकार को हाईकोर्ट की फटकार मिलती है तब जाकर उनके अफसर जागते हैं.

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Published : Aug 9, 2019, 2:51 PM IST

पटनाः राजधानी पटना में कई मामलों पर हाईकोर्ट ने सरकार के आला अफसरों को फटकार लगाई है. पिछले दिनों अतिक्रमण, नाला निर्माण, सफाई और पर्यावरण को लेकर कोर्ट ने मुख्य सचिव समेत एक दर्जन विभाग के प्रधान सचिवों को टास्क दिया है. हाईकोर्ट की फटकार के बाद विपक्ष भी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है.

'अफसरों को विकास से कोई सरोकार नहीं'
इन तमाम मामलों पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कई बैठकें हो चुकी हैं. अधिकारियों के जरिए नाला निर्माण, ट्रैफिक व्यवस्था और अतिक्रमण जैसे बुनियादी मसलों पर गंभीर निर्णय लिए गए हैं. लेकिन इस मामले पर विपक्ष सरकार को घेरने में लगी है. कांग्रेस का मानना है कि वर्तमान सरकार निरंकुश हो गई है. उनके अफसरों को विकास से कोई सरोकार नहीं रह गया.

बयान देते कांग्रेस और बीजेपी के नेता

बुनियादी मामलों में कोर्ट का सरकार को आदेश
कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर कहते हैं कि सफाई, ट्रैफिक व्यवस्था, नाला और सड़क निर्माण जैसे मुद्दों पर हाईकोर्ट की फटकार सरकार को बराबर मिल रही है. लेकिन इसके बाद भी सरकार के अफसर सजग नहीं हो रहे हैं. कांग्रेस का मानना है कि अगर कोर्ट संज्ञान लेते हुए बुनियादी मामलों में आदेश ना दे तो बिहार में विकास का बंटाधार तय है.

अफसरों के बचाव में उतरे भाजपा नेता
वहीं, इस मामले में सरकार के अफसरों का पक्ष लेते हुए भाजपा विधायक अरुण कुमार सिन्हा का मानना है कि राज्य में सभी तंत्र अपना-अपना काम बखूबी कर रहे हैं. उनका कहना है कि न्यायपालिका कुछ मुद्दों को संज्ञान में लेकर अफसरों को बुलाती है, ताकि विकास कार्य और तेजी से हो सके. इसमें गलत क्या है? अरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि देश में न्यायपालिका और कार्यपालिका दोनों का अहम रोल है.

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