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प्रदेश में फिसड्डी साबित हो रही आयुष्मान भारत योजना, जानें किस पायदान पर है बिहार

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना 2018 में शुरू हुई थी. इस योजना के तहत सितंबर 2019 तक कुल 7581 करोड़ की राशि गरीबों के मुफ्त इलाज पर खर्च किए गए हैं. बिहार और यूपी जहां देश की कुल आबादी के 30 करोड़ लोग निवास करते हैं, वहां यह योजना हाथी के दांत साबित हो रही है.

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Published : Nov 21, 2019, 10:48 PM IST

Updated : Nov 21, 2019, 11:55 PM IST

पटना: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना या आयुष्मान भारत योजना पीएम नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना में से एक है. 1 अप्रैल 2018 में को इसे पूरे देश में लागू किया गया था. इस योजना का एकमात्र उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों(बीपीएल धारक) को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है. कई राज्य इस योजना का लाभ उठाने में काफी आगे चल रहे हैं. लेकिन, बिहार इस मामले में बहुत ही पीछे है.

अग्रणी राज्यों में तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक शामिल हैं. देशभर में आयुष्मान योजना की कुल राशि का आधा दर्जन राज्य 50% से अधिक राशि खर्च कर रहे हैं. लेकिन, बिहार जो कि जनसंख्या के मामले में सबसे बड़े राज्यों में से एक है, वह फिसड्डी साबित हो रहा है. विशेषज्ञों की मानें तो इसका बड़ा कारण बिहार में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी होना है. वहीं, अधिकारी साफ कह रहे हैं कि आयुष्मान योजना पर तेजी से काम हो रहा है. आने वाले 3 महीनों में बेहतर रिजल्ट दिखेंगे.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

जानें कौन सा प्रदेश किस पायदान पर है....
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना 2018 में शुरू हुई थी. इस योजना के तहत सितंबर 2019 तक कुल 7581 करोड़ की राशि गरीबों के मुफ्त इलाज पर खर्च किए गए हैं. इस राशि में सर्वाधिक खर्च तमिलनाडु में हुआ है. दूसरे स्थान पर गुजरात और उसके बाद आंध्रप्रदेश का नंबर है. बिहार और यूपी जहां देश की कुल आबादी के 30 करोड़ लोग निवास करते हैं, वहां यह योजना हाथी के दांत साबित हो रही है.

इस राज्य में इतने लोग हुए लाभांवित
गुजरात- 8,34,658 लोग
तमिलनाडु- 6,04,145 लोग
छत्तीसगढ़- 5,52,581 लोग
आंध्र प्रदेश- 3,44,876 लोग
झारखंड- 2,79,029 लोग

बिहार में केवल- 90,620 लोग

विशेषज्ञों ने रखी अपनी राय
बिहार के हालातों पर आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सहजानंद का कहना है कि जब तक गरीबों को कार्ड का वितरण नहीं होगा और अधिक से अधिक अस्पतालों से जोड़ा नहीं जायेगा, तब तक स्थिति सुधरने वाली नहीं है. इस मामले में कहीं न कहीं चूक हो रही है.

डॉ. सहजानंद, पूर्व अध्यक्ष आईएमए

'बिहार में है इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी'
वहीं, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर का कहना है कि बिहार में एक तो इंफ्रास्ट्रक्चर की काफी कमी है. अच्छे अस्पताल नहीं है. साथ ही प्रदेश में डिलीवरी सिस्टम बहुत ही दयनीय है इसके कारण केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का लाभ देने में नीतीश सरकार पिछड़ जा रही है.

डीएम दिवाकर, पूर्व निदेशक, ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट

सरकारी अधिकारी दे रहे रटा-रटाया जवाब
हालांकि, आयुष्मान योजना के प्रभारी और स्वास्थ्य विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह का कहना है आने वाले 3 महीनों में स्थिति सुधरेगी. विभाग कोशिश में लगा है. लाभुकों को कार्ड मुहैया कराने के साथ-साथ अस्पतालों का भी रजिस्ट्रेशन भी कराया जा रहा है.

लोकेश कुमार सिंह, सचिव, स्वास्थ्य विभाग

इन राज्यों ने किया इतना खर्च
बिहार- 90 करोड़
झारखंड- 260 करोड़
यूपी- 206 करोड़
तमिलनाडु- 1395 करोड़
गुजरात- 1372 करोड़
आंध्र प्रदेश- 865 करोड़
कर्नाटक- 683 करोड़

कुल मिलाकर देखें तो बिहार और यूपी आयुष्मान योजना में जो राशि खर्च हुई है, उसका केवल 5% राशि ही खर्च कर पाया है. जबकि आबादी में यह दो राज्य सबसे आगे हैं.

Last Updated : Nov 21, 2019, 11:55 PM IST

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