पटना: बिहार में कोरोना वायरस का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. मासूम बच्चे भी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं लेकिन सुखद खबर ये है कि बिहार में बच्चों की रिकवरी रेट ठीक-ठाक है. हालांकि कई मामलों में बच्चों के कोरोना पॉजिटिव नहीं होने के बावजूद कम उम्र के किशोरों को अपनी मां के साथ कोरोना वार्ड में रहने को विवश होना पड़ रहा है.
बिहार में बच्चों पर कम है कोरोना वायरस का प्रभाव
पूरे बिहार में अब तक 800 बच्चे कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं जो कुल संक्रमित मरीजों का 4% है. 10 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या संक्रमित होने वाले अलग-अलग आयु समूह के लोगों में सबसे कम है. 5 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ सबसे बड़ी समस्या ये है कि अगर वे कोरोना पॉजिटिव नहीं है और उनकी मां कोरोना पॉजिटिव हैं तो ऐसी स्थिति में बच्चे को मां से अलग नहीं किया जा सकता है और बच्चे के ऊपर कोरोना से संक्रमित होने का खतरा बना रहता है. वहीं दूसरी तरफ अगर बच्चे कोरोना पॉजिटिव हैं और मां नेगेटिव है तब भी मां को बच्चे के साथ रहना पड़ता है.
बच्चों का रिकवरी रेट ज्यादा
हालांकि इस पूरे परिदृश्य में सुखद पहलू यह है कि बच्चों पर कोरोना वायरस का प्रभाव बहुत कम है. लगभग शत-प्रतिशत बच्चे स्वस्थ होकर घर लौट रहे हैं. वहीं अस्पताल प्रशासन के लिए बच्चों का इलाज परेशानी का सबब जरूर है.