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Anand Mohan के हमले के बाद भी बीजेपी की चुप्पी का क्या है कारण? पढ़ें इनसाइड स्टोरी - ईटीवी भारत

'बीजेपी को अपने पैरों तले कुचल दूंगा..' जेल से छूटने के बाद पूर्व सांसद आनंद मोहन बीजेपी पर लगातार हमलावर है. लेकिन बीजेपी चाहकर भी विरोध नहीं कर पा रही है. बाहुबली आनंद मोहन पर बीजेपी की चुप्पी के पीछे क्या राजनीतिक मजबूरी है? पढ़ें पूरी खबर..

BJP to remain silent on Anand Mohan
BJP to remain silent on Anand Mohan

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Published : Jun 8, 2023, 7:57 PM IST

आनंद मोहन के हमले का बीजेपी क्यों नहीं दे रही जवाब

पटना: बाहुबली आनंद मोहन जी कृष्णेया हत्याकांड में 16 साल तक जेल में रहने के बाद 27 अप्रैल को रिहा हुए हैं. आनन्द मोहन की रिहाई पर सियासत भी खूब हो रही है लेकिन रिहाई के बाद आनंद मोहन लगातार जिलों में घूम रहे हैं और नवंबर में पटना के गांधी मैदान में बड़ी रैली की घोषणा की है.

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आनंद मोहन के निशाने पर बीजेपी: रैली में 10 लाख लोगों के जुटान का दावा किया जा रहा है. आनंद मोहन बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर सीधा हमला कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी चुप्पी साधे हुए है. दरअसल आनंद मोहन जेल से निकलने के बाद सुपौल, सहरसा, जहानाबाद, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी सहित कई जिलों का दौरा कर चुके हैं और लगातार कार्यक्रमों में बीजेपी नेताओं पर निशाना साध रहे हैं.

बैकफुट पर बीजेपी!: आनंद मोहन के तेवर को देखते हुए बीजेपी बैकफुट पर नजर आ रही है. शुरुआत में सुशील मोदी ने जरूर आनंद मोहन की रिहाई पर सवाल खड़ा किया था लेकिन उसके बाद से पार्टी ने चुप्पी साधे रखा है. बीजेपी के खिलाफ आनंद मोहन एक के बाद एक बयान दे रहे हैं. वहीं आनंद मोहन को लेकर जहां बीजेपी सधी हुई प्रतिक्रिया दे रही है वहीं आरजेडी और जेडीयू हमला करने का एक मौका भी हाथ से निकलने देना नहीं चाहती है.

"उनको रैली करना है करें बीजेपी डरने वाली नहीं है. विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है और हमारे नेता नरेंद्र मोदी विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता हैं. देश की जनता नरेंद्र मोदी को चाहती है. नीतीश कुमार ने आनंद मोहन को बीजेपी पर हमला करने की शर्त पर ही रिहाई दी है. जेल मैनुअल में संशोधन किया है तो आनंद मोहन अपना काम कर रहे हैं. लेकिन 2025 में बिहार में बीजेपी की सरकार बनेगी और अपराधियों के साथ माफिया को मिट्टी में मिला दिया जाएगा योगी मॉडल यहां चलेगा."- प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

गदगद है महागठबंधन: आनंद मोहन जेल से रिहा होने के बाद जिस प्रकार से मुहिम चला रहे हैं उससे महागठबंधन के नेता गदगद दिख रहे हैं. राजपूत समाज से आने वाले जदयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह आनंद मोहन के तेवर पर कह रहे हैं कि अभी उनके बयानों पर हम कुछ नहीं बोलेंगे.

"जब बिहार घूम लेंगे उसके बाद अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे. तब उस पर प्रतिक्रिया देंगे. लेकिन आनंद मोहन जिस ढंग से बोल रहे हैं साफ दिख रहा है बीजेपी एंटी उनकी भूमिका होगी. ऐसे में जो एकजुटता की बात हो रही है उसमें मदद ही उनसे मिलेगी."-वशिष्ठ नारायण सिंह, वरिष्ठ नेता, जदयू

"नीतीश कुमार ने आनंद मोहन की रिहाई उनके समाज को लुभाने के लिए की है. खासकर आनंद मोहन जिस मुश्किलों में थे और ऐसे समय में नीतीश कुमार ने मास्टर स्ट्रोक खेला जब उनके बेटे और बेटी की सगाई होने वाली थी. इसका अच्छा मैसेज आनंद मोहन के समाज में गया है. आनंद मोहन का सहरसा सुपौल जैसे इलाके में अच्छा प्रभाव है और महागठबंधन को उसका लाभ मिलेगा."-रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

बीजेपी से खफा हैं आनंद मोहन: जेल से रिहाई के विरोध में जी कृष्णेया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया है और उसकी सुनवाई चल रही है. उससे आनंद मोहन खफा हैं और आनंद मोहन को लगता है कि इसमें बीजेपी की कहीं न कहीं भूमिका है.

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महागठबंधन से बढ़ती नजदीकियां: आनंद मोहन जब लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री थे और उनकी पार्टी की सरकार थी तो उनके विरोध में अभियान चलाते थे. आनंद मोहन की छवि उनके समाज में रॉबिनहुड की उसी समय से है. आनंद मोहन 16 वर्ष तक जेल में रहे हैं लेकिन उसके बावजूद उस छवि को फिर से प्राप्त करना चाह रहे हैं. आरजेडी में उनके बेटे विधायक हैं और 2024 लोकसभा चुनाव में अपनी पत्नी लवली आनंद को चुनाव लड़ाने की तैयारी भी कर रहे हैं.

कभी थे खिलाफ अब साथ-साथ: महागठबंधन सरकार में जिस प्रकार से उनकी रिहाई हुई है, उसके बाद बीजेपी को टारगेट करने में लगे हैं. ऐसे आनंद मोहन कहते रहे हैं लालू यादव ने फंसाया और नीतीश कुमार ने जेल भेजने में कोई कोर कसर नहीं की. लेकिन अब आनंद मोहन लालू और नीतीश के लिए ही काम करते दिख रहे हैं.

चुप्पी का कारण वोट बैंक:राजनीति में समय के साथ राजनीति भी बदलती है. यह आनंद मोहन के मामले में साफ दिख रहा है लेकिन फिलहाल बीजेपी आनंद मोहन के खिलाफ खुलकर बोलने से बच रही है, यह भी साफ दिख रहा है. बीजेपी को लगता है कि आनंद मोहन के खिलाफ गई तो उस समाज का वोट खिसक सकता है ऐसे में चुप्पी ही एकमात्र विकल्प है.

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