पटना: बिहार में 7 जनवरी से जाति आधारित गणनाका काम शुरू हुआ था. सर्वे के बाद अब डाटा एंट्री का काम अंतिम दौर में है. उसके बाद विश्लेषण किया जाएगा और फिर एक से दो महीने के अंदर रिपोर्ट जारी की जा सकती है. इधर पटना हाईकोर्ट में भी 28 अगस्त को इस पर सुनवाई होनी है. उधर जेडीयू ने जातीय जनगणना पर क्रेडिट लेने की तैयारी शुरू कर दी है. 1 सितंबर से बीजेपी को घेरने के लिए पोल खोल अभियान की शुरुआत होगी. इसके माध्यम से यह भी कोशिश होगी कि इसका क्रेडिट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मिल जाए.
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जातीय जनगणना का श्रेय लेने की कोशिश में जेडीयू: जेडीयू की तरफ से जातीय गणना का कार्य पूरा होने के बाद अब क्रेडिट लेने की कोशिश भी शुरू हो गई है तो दूसरी तरफ बीजेपी को घेरने की कोशिश भी हो रही है. जेडीयू का कहना है कि बीजेपी ने साजिश के तहत मामले को कोर्ट में अपने एजेंट के माध्यम से याचिका दायर करवाया है. ऐसे में बीजेपी का चेहरा बेनकाब हो चुका है. इसलिए पोल खोल अभियान के माध्यम से जनता को बीजेपी की हकीकत बताई जाएगी.
एक सितंबर से जेडीयू का पोल-खोल अभियान:जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने ऐलान किया है कि एक सिंतबर से पार्टी जनता के बीच जाएगा और जाति आधारित गणना के बारे में लोगों को बताएगी. उन्होंने बताया कि पोल खोल अभियान के तहत 1 से 5 सितंबर तक संध्या काल में बिहार के सभी जिला मुख्यालयों में मसाल और कैंडल मार्च का आयोजन किया जाएगा. 7 से 12 सितंबर तक सभी प्रखंड मुख्यालयों में आयोजन होगा. उसके बाद 15 से 20 सितंबर तक जेडीयू के सभी स्तर के पदाधिकारी और सक्रिय साथी अपने-अपने घरों में काला झंडा लगाकर भारतीय जनता पार्टी के संविधान विरोधी चरित्र को उजागर करेंगे.
"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना का मॉडल दे दिया है. अब बिहार का मॉडल पूरे देश में अमल में आ सकता है. नीतीश कुमार की सोच के कारण ही यह संभव हो सका है. बीच में रुकावट भी आई लेकिन सीएम के दिशा-निर्देश में काम पूरा हो गया"-संजय झा, मंत्री, बिहार सरकार