पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. लेकिन अभी भी सभी दलों में टिकट को लेकर मारामारी जारी है. सभी दलों के नेता टिकट की आस में लगातार पार्टी दफ्तर का चक्कर काट रहे हैं, जहां उन्हें बड़े नेताओं से सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है, जिसकी वजह से नेता हर दिन पार्टी दफ्तर के आस-पास भटकते नजर आ रहे हैं.
बिहार चुनाव में टिकट पाने की होड़ उम्मीदवारों को भरोसा है पार्टी जरूर देगी टिकट
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय में हर दिन हजारों की संख्या में नेता टिकट की आस लगाए पार्टी कार्यालय पहुंच रहे हैं और अपने बड़े नेताओं से मुलाकात कर टिकट मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं, ऐसे ही एक उम्मीदवार से हम आपको मिलाते हैं, जो बोधगया से चुनाव लड़ने के लिए पार्टी से पिछले 1 महीने से टिकट मांगने के लिए पार्टी कार्यालय पहुंच रहे हैं. लेकिन उन्हें सिर्फ नेताओं से आश्वासन ही मिल रहा है. उन्हें भरोसा है कि पार्टी उन्हें टिकट जरूर देगी.
टिकट मांगने पर उम्मीदवारों से की जा रही पैसे की बात
वहीं, घोसी विधानसभा से जदयू से टिकट की उम्मीद लगाए बैठी महिला नेत्री ने साफ तौर पर कहा कि पार्टी के बड़े नेता हमें आश्वासन दिए हैं कि हमें टिकट इस बार जरूर मिलेगा. उन्होंने बताया कि आज जब हम टिकट मांगने पार्टी कार्यालय आए तो पार्टा के बड़े नेताओं ने पूछा कि चुनाव लड़ने के लिए आपके पास पैसे हैं? जब हम मना कर दिये तो नेता सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि जदयू से वे 1995 से जुड़ी हुई हैं और लगातार पार्टी के लिए कार्य कर रही हैं, लेकिन पार्टी की ओर से लगातार टिकट मांगने पर उन्हें आश्वासन दिया जा रहा है.
टिकट मिलने की आस में बैठे हैं राजद के नेता
राजद की बात करें तो यहां भी यही हाल है. गरीबों की पार्टी कही जाने वाली राजद भी अपने कार्यकर्ताओं को सिर्फ टिकट के लिए आश्वासन दे रही है. टिकट की मांग को लेकर राजद कार्यालय और राबड़ी आवास के पास नेताओं और कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा हुआ है. वहीं टिकट न मिलने की संभावना देख नेता और कार्यकर्ता पार्टी के खिलाफ नारेबाजी से लेकर धरना तक दे रहे हैं. लेकिन पार्टी का शीर्ष नेतृत्व सिर्फ उन्हें आश्वासन देकर मनाने की कोशिश में लगा हुआ है.
टिकट मांगने पर मिल रहा आश्वासन
बहरहाल, चुनाव का समय है और सभी दलों के नेता टिकट की उम्मीद लगाए लगातार पार्टी कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें अपने बड़े नेताओं से सिर्फ आश्वासन मिल रहा है. ऐसे में अब सवाल उठता है कि जो भी पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता पार्टी के लिए दिन-रात कार्य करते हैं, उन्हें सिर्फ चुनाव के समय आश्वासन ही क्यों मिल रहा है?