पटना : 2015 में पहली बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन में आये और चाचा-भतीजे की जोड़ी बनी. करीब 17 साल साथ रहने के बाद नीतीश कुमार साल 2015 में लालू प्रसाद से हाथ मिलाकर महागठबंधन बना लिया. बिहार में महागठबंधन की बडी जीत से साथ चाचा-भतीजे की सरकार बनी. कुछ दिन सामान्य रूप से सरकार चली और इक्के-दुक्के बयानबाजियों के जरिये एक दूसरे पर हमला शुरू हो गया. कई बार जेडीयू और आरजेडी प्रवक्ताओं की जुबानी जंग तेज हो गयी. दोनों दल के प्रवक्ता एक दूसरे के खिलाफ आग उगलते रहे. इसी दौरान 2017 में लालू प्रसाद यादव के घर सीबीआई की छापेमारी हुई. नीतीश कुमार से पहली बार तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री दफ्तर बुलाकर जबाब तलब किया. तेजस्वी अपने ऊपर लगे आरोपों का जबाब नहीं दे सके और आखिरकार सरकार गिर गयी.
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खूब चली चाचा-भतीजे में बयानबाजी: नतीश कुमार के नेतृत्व में बीजेपी के सहयोग से सरकार बनी और भतीजा विपक्ष में अपने चाचा पर हमलावार रहे. बतौर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने सड़क से सदन तक अपने चाचा यानी नीतीश कुमार को क्या-क्या नहीं कहा. सदन में चाचा-भतीजे की तीखी नोक झोंक हो या एक दूसरे के खिलाफ आग उगलने का वाकया, एक दूसरे के खिलाफ की गयी हर तल्ख टिप्पणी मिडिया के सुर्खियों में रही.
2020 के चुनाव में चाचा भतीजा आमने सामने: वर्ष 2020 के चुनावी घोषणा के साथ ही चाचा-भतीजे में तकरार और बढ़ गयी. हर चुनावी सभा में एक दूसरे खिलाफ चाचा और भतीजे ने खूब जहर उगला. चाचा एनडीए का हिस्सा रहे और भतीजे ने सात पार्टियों को मिला कर महागठबंधन बना लिया. दोनों गठबंधनों के बीच कड़ी टक्कर हुई. एनडीए की जीत तो हुई, लेकिन भतीजे की शक्ति में काफी बढोत्तरी हुई. 2020 के चुनाव में चाचा का कद घटा और जेडीयू 43 सीटों पर सिमट गयी. वहीं बीजेपी पिछले चुनाव की तुलना में अपनी ताकत बढ़ाने में कामयाब रही. चाचा कुछ दिनों तक नाराज रहे. नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक बार फिर एनडीए की सरकार बन गयी.
हारकर जीती आरजेडी : 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत के बाद तेजस्वी यादव अपने चाचा यानी नीतीश कुमार पर पहले से ज्यादा हमलावार हो गये. उन्हें लगा कि वो बिहार के मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गये. इस बात को लेकर बार-बार चाचा को भतीजे के आरोपों और हमले से दो-चार होना पड़ा. तेजस्वी ने सदन से सड़क तक इस बात को लेकर अपने चाचा को कोसा और हमला किया कि 'नीतीश कुमार चुनाव जनाधार से नहीं बल्कि धांधली कर जीते हैं'. चाचा जबाब देते रहे और भतीजा हमला करते रहे.
जब दूसरे बार पलटे नीतीश: 2020 में जेडीयू की करारी हार से नीतीश कुमार तिलमिला गये थे. उन्हें लग रहा था कि कम सीटें मिलने की वजह से उनके बड़े भाई की भूमिका समाप्त हो गयी है. कई बार जेडीयू और बीजेपी के बीच बड़ा भाई कौन जैसे विवाद की वजह से खूब बयानबाजियां हुईं. धीरे-धीरे दोनों के बीच तल्खियां बढ़ी और आखिरकार ने नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर एक बार फिर अपने भतीजे को गले लगा लिया.
''कुछ गलतफहमियों की वजह से ऐसा होता है. ये गलतफहमियां बीजेपी पैदा करती है. पिछले कार्यकाल में तेजस्वी के घर सीबीआई की छापेमारी गलतफहमी की सबसे बडी वजह थी. तेजस्वी जी से जबाब मांगा गया था लेकिन वो जबाब नहीं दे सके और सरकार चली गयी. जब बाद में नीतीश जी सही जानकारी मिल गयी तो सब ठीक हो गया. समाजवादियों का एक लक्ष्य है और उसी लक्ष्य को लेकर दोनों कार्य कर रहे हैं. अब सब कुछ ठीक है''- सुनील सिंह, प्रवक्ता, जेडीयू