पटना: महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नौकरी और रोजगार पर सब से अधिक जोर दिए जाने का दावा किया जा रहा है. लेकिन, सीएमआई (CMIE latest report) के ताजा आंकड़ों के अनुसार बिहार में नवंबर में अक्टूबर के मुकाबले बेरोजगारी दर लगभग 3% बढ़ी है. अक्टूबर में जहां 14.5% थी जो बढ़कर 17.3% हो गई है. 2022 में बिहार में सबसे अधिक बेरोजगारी दर अप्रैल महीने में 21.1 प्रतिशत थी. उसके बाद घटने लगा और 13% से भी नीचे चला गया. नवंबर में यह 17.3% तक पहुंच गया.
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बिहार में बढ़ी बेरोजगारी दर. कैसे घटेगी बेरोजगारी दरः एएन सिन्हा शोध संस्थान (AN Sinha Research Institute) के विशेषज्ञ ने बढ़ रही बेरोजगारी दर पर रोक लगाने के लिए सरकार को कंस्ट्रक्शन, कृषि और छोटे उद्योग के क्षेत्र में ज्यादा ध्यान देने की जरूरत बतायी. एएन सिन्हा शोध संस्थान के विशेषज्ञ डॉक्टर विद्यार्थी विकास का कहना है कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में सरकार को और अधिक ध्यान देने की जरूरत है. क्योंकि इस क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार मिलता है. साथ ही बिहार में कृषि पर और भी काम करने की जरूरत है. छोटे उद्योग धंधे में सबसे ज्यादा रोजगार मिलता है. कोरोना के बाद इस क्षेत्र पर असर पड़ा है तो इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है. सरकारी नौकरी से बेरोजगारी दर घट जाएगी, इसकी संभावना कम है.
बेरोजगारी पर राजनीतिः जदयू प्रवक्ता परिमल राज का कहना है कि बेरोजगारी दर घटेगा क्योंकि लगातार हर विभाग में नियुक्ति पत्र बांटा जा रहा है. बड़ी संख्या में बहाली होने वाली है. जदयू प्रवक्ता का यह भी कहना है कि कहीं ना कहीं आंकड़ों में मैनिपुलेशन किया गया है. वहीं बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि जिन्हें पहले से नियुक्ति पत्र दिया गया है जब सरकार द्वारा उन्हीं लोगों को फिर से नियुक्ति पत्र बांटा जाएगा तो बेरोजगारी कैसे घटेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खाली पड़े पदों को भरने पर तेजी से काम करने की जरूरत है.
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CMIE की रिपोर्ट ने सरकार की चुनौती बढ़ा दी: पिछले 12 महीनों की बात करें तो औसत बेरोजगारी दर बिहार में 2.2% की बढ़ोतरी हुई है. देश में बेरोजगारी दर 8.1% के आसपास है. लेकिन बिहार में इससे कहीं अधिक बेरोजगारी दर आंकड़ों में दिख रहा है. नीतीश सरकार के रोजगार और नौकरी देने के दावे की पोल खोल रहा है. मनरेगा में भी लोगों को काम नहीं मिल रहा है. इस वजह से लोग पलायन कर रहे हैं. अभी हाल ही में इन्वेस्टर मीट भी किया गया था जिसमें देश की नामी गिरामी कंपनियां भी शामिल हुई थी. बिहार सरकार की तरफ से उन्हें निवेश करने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन अब तक कोई बड़ा निवेश को लेकर पहल शुरू नहीं हुई है. हालांकि सरकार का दावा अभी भी है कि आने वाले समय में बिहार की स्थिति बेहतर होगी.
'जिन्हें पहले से नियुक्ति पत्र दिया गया है जब सरकार द्वारा उन्हीं लोगों को फिर से नियुक्ति पत्र बांटा जाएगा तो बेरोजगारी कैसे घटेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खाली पड़े पदों को भरने पर तेजी से काम करने की जरूरत है'-विनोद शर्मा, बीजेपी प्रवक्ता