पटनाःसीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने देश में जातीय जनगणना (caste census) के मुद्दे पर गेंद पीएम मोदी के पाले में डाल दी है. उन्होंने ट्वीट कर केंद्र सरकार से जातीय जनगणना कराने को लेकर पुनर्विचार करने को कहा है. बता दें कि सीएम नीतीश ने इस मुद्दे को कई बार उठाया है. इससे पहले लालू प्रसाद यादव ने काफी वक्त तक जातीय जनगणना कराने की मांग की थी. बाद में नीतीश कुमार ने भी सुर में सुर मिला लिया था. अब शनिवार को सीएम नीतीश कुमार ने देश में जातीय जनगणना कराने की बात कह दी है.
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वहीं, केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना को लेकर अपने स्टैंड स्पष्ट कर दिए हैं. सरकार ने कहा है कि फिलहाल जातिगत जनगणना संभव नहीं है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र के इस फैसले पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जातिगत जनगणना को लेकर बिहार विधानसभा से दो बार प्रस्ताव केंद्र को भेजे गए हैं. केंद्र को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और कम से कम एक बार जातिगत जनगणना होना चाहिए.
आपको बता दें कि बिहार के तमाम राजनीतिक दलों ने जातिगत जनगणना को लेकर सब सम्मत प्रस्ताव विधानसभा से पारित किए थे. भाजपा नेताओं ने भी जातिगत जनगणना के पक्ष में मतदान किया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातिगत जनगणना के पक्ष में हैं. सीएम नीतीश ने कहा कि जातिगत जनगणना होना चाहिए.
"मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करूंगा कि अपने फैसले पर वह विचार करें. जातिगत जनगणना इसलिए भी जरूरी है कि गरीबों के लिए सही तरीके से योजना बन पाएगी और उन्हें लाभ मिल पाएगा."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री
वहीं, उन्होंने फोन टैपिंग मसले पर कहा कि इस पर विचार होना चाहिए. यह जरूर है कि गलत लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए. टेक्नोलॉजी का सकारात्मकऔर नकारात्मक दोनों इस्तेमाल होता है.
बता दें कि सिर्फ सीएम नीतीश ही नहीं. इससे पहले भागलपुर में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने भी जातीय जनगणना की बात कही थी. वहीं जेडीयू ( JDU ) नेता उपेन्द्र कुशवाहा भी इस पर बयान दे चुके हैं. कई बड़े नेता चाहते हैं कि देश में जातीय जनगणना हो.
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इससे पहले भी जेडीयू ने केंद्र द्वारा जातिगत जनगणना नहीं कराए जाने के फैसले को लेकर अपनी नाराजगी जताई थी. जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि जातिगत जनगणना के मामले को लेकर हम बहुत क्षुब्ध हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अब भी जातिगत जनगणना को लेकर प्रतिबद्ध नहीं है. ऐसे समय में जब हम यह उम्मीद कर रहे थे कि ओबीसी के अंदर ओबीसी के उप-वर्गीकरण संबंधी जस्टिस जी रोहिणी आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया जाएगा, तब जस्टिस रोहिणी आयोग के कार्यकाल को छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया.
दरअसल, बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों द्वारा जाति आधारित जनगणना कराने के पक्ष में 2-2 बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया है. इसके उलट केन्द्र सरकार 2021 की जनगणना के साथ केवल SC/ST वर्ग की जनगणना कराने के पक्ष में है. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी जातिगत जनगणना को लेकर पक्ष में बयान देते रहे हैं.