पटना: 2024 के लोकसभा चुनाव ( Strategy For Mission 2024) में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को चुनौती देने के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कमर कस ली है. जदयू नेताओं ने रणनीति पर काम भी करना शुरू कर दिया है. सोशल मीडिया से लेकर अखबारों में पार्टी नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है. जदयू नेता कह रहे हैं कि चाय वाले का बेटा प्रधानमंत्री ( PM Material CM Nitish Kumar ) बन सकता है तो एक वैध का बेटा क्यों नहीं?
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देशभर का दौरा करेंगे नीतीश: बिहार की धरती से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने की तैयारी शुरू हो गई है. बिहार में सरकार बदलते ही महागठबंधन नेताओं का उत्साह सातवें आसमान पर है. राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन को मूर्त रूप देने के लिए बकायदा एक टीम ने काम करना शुरू कर दिया है. वहीं कांग्रेस को मनाने का जिम्मा लालू प्रसाद यादव को दिया गया है.
बिहार की सत्ता में सालों से काबिज हैं सीएम नीतीश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नीतीश कुमार की अदावत पुरानी है. साल 2013 में जब नीतीश कुमार की तस्वीर नरेंद्र मोदी के साथ छपी थी तब नीतीश नाराज हुए थे और भोज कैंसिल कर दिया था. नरेंद्र मोदी को जब प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट किया तब भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया. 2014 में लोकसभा चुनाव में जबरदस्त पटकनी खाने के बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया था.
9 महीने बाद ही जीतन राम मांझी से विवाद हो गया और लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर फिर मुख्यमंत्री की उन्होंने शपथ ली. उस समय नीतीश कुमार को राजद का समर्थन बाहर से प्राप्त था. 2015 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार की सियासत एक नया मोड़ लेती है और महागठबंधन को मूर्त रूप दिया जाता है. महागठबंधन को जनता का अपार समर्थन मिलता है और नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बन जाते हैं. साथ ही पहली बार तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री पद पर आसीन हो जाते हैं लेकिन कहा जाता है कि समाजवादी बहुत दिन एक साथ नहीं चल सकते और हुआ भी यही 2017 में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक बार फिर से नीतीश कुमार ने लालू यादव का साथ छोड़ दिया. राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन टूटने के बाद नीतीश एक बार फिर एनडीए में वापसी करते हैं. एक बार फिर से इनकी सत्ता आबाद हो जाती है. एनडीए की सियासत बिहार के राजनीतिक गलियारे में सरपट दौड़ने लगती है और फिर 2019 का लोकसभा चुनाव नीति भाजपा के साथ मिलकर लड़ते हैं और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को अपार बहुमत मिलती है.
पीएम बनना चाहते हैं सीएम नीतीश!: 2020 का विधानसभा चुनाव भी नीतीश भाजपा के साथ मिलकर लड़ते हैं लेकिन 2 साल नहीं बीते कि भाजपा से नीतीश कुमार के ठन गई. नीतीश कुमार ने कुछ दिनों के अंतर पर भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ लिया और एक बार फिर तेजस्वी यादव के साथ सरकार बना लिया. नीतीश कुमार के मन में प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा हिलोरे मारने लगी.जिस तरीके से भ्रष्टाचार के मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर शिकंजा कस चुका है, वैसी स्थिति में अब महागठबंधन के घटक दलों की निगाहें नीतीश कुमार पर है. जदयू नेता मौके की नजाकत को बेहतर समझ रहे हैं. जदयू की ओर से अब नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने के लिए मुहिम शुरू कर दी गई है.