पटना :बिहार विधानसभा में मानसून सत्रचल रहा है. ऐसे में अपनी मांगों के लेकर शिक्षकों के लिए यह बड़ा मौका है. क्योंकि 4 लाख से अधिक नियोजित शिक्षक हैं और 170000 से अधिक नई शिक्षकों की बहाली होनी है. इसलिए बीजेपी के आक्रमक रुख और सहयोगी वाम दलों के तेवर के कारण नीतीश कुमार शिक्षक अभ्यर्थियों और महागठबंधन के सहयोगियों से भी बात करने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन शिक्षकों और शिक्षक अभ्यर्थियों की जो बड़ी मांग है. उस पर क्या फैसला होगा. इस पर ही सबकी नजर है.
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शिक्षकों की मांग को बीजेपी बना रही बड़ा मुद्दा:बिहार में शिक्षकों के आंदोलन पहले भी होते रहे हैं. इन दिनों 170000 नए शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया चल रही है. शिक्षक अभ्यर्थी शिक्षक नियोजन नियमावली के प्रावधानों से नाराज हैं. खासकर डोमिसाइल नीति को लेकर विरोध जता रहे हैं. वहीं नियोजित शिक्षक पुराने वेतनमान के साथ सरकारी शिक्षक बनाने की मांग कर रहे हैं. क्योंकि अब जो नई बहाली हो रही है, उसमें सभी सरकारी शिक्षक होंगे. मानसून सत्र में बीजेपी इसे बड़ा मुद्दा बना रही है.
13 को बीजेपी का विधानसभा मार्च : दबाव बनाने के लिए 13 जुलाई को बीजेपी ने विधानसभा मार्च का ऐलान किया है. गांधी मैदान से लेकर विधानसभा तक सभी विधायक विधान पार्षद और पार्टी के नेता इस मार्च में शामिल होंगे. दूसरी तरफ सरकार में सहयोगी वामपंथी तीनों दल सीपीआई, सीपीएम और माले भी शिक्षकों के साथ हैं और इसके कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ गई है. नीतीश कुमार को हार कर अब महागठबंधन के सहयोगियों के साथ शिक्षक अभ्यर्थियों से बात करने का आश्वासन देना पड़ा है.
"शराबबंदी मुआवजा की तरह जब तक शिक्षक मामले में भी सरकार को झुका नहीं देंगे, तब तक सरकार को छोड़ने वाले नहीं हैं."- विजय सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष, विधानसभा