पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 1 अणे मार्ग स्थित संकल्प से 6,680.67 करोड़ रुपये की लागत की ग्रामीण कार्य विभाग की 5,061 योजनाओं का शिलान्यास, कार्यारंभ और उद्घाटन किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आज 1,554 करोड़ रुपये की लागत से 1,362 योजनाओं का उद्घाटन, 3,172 करोड़ रुपये की लागत से 2,260 योजनाओं का शिलान्यास और 1,954 करोड़ रुपये की लागत से 1,439 योजनाओं का कार्यारंभ किया गया है.
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5,030 ग्रामीण पथ और 31 पुल का शिलान्यास: उन्होंने कहा कि इसके तहत 5,030 ग्रामीण पथ और 31 पुल निर्माण की योजना है. हमने वर्ष 2007 में ग्रामीण कार्य विभाग की शुरुआत करायी थी. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन को बेहतर करने के साथ-साथ किसानों के फसल की बिक्री में सुविधा हुई. पुरानी चीजों को ध्यान में रखना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू की थी. इसके तहत 100 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देती थी. अभी जो लोग केंद्र सरकार में हैं. उन्होंने वर्ष 2015 में इसे 60:40 कर दिया.
"आज 1,554 करोड़ रुपये की लागत से 1,362 योजनाओं का उद्घाटन, 3,172 करोड़ रुपये की लागत से 2,260 योजनाओं का शिलान्यास और 1,954 करोड़ रुपये की लागत से 1,439 योजनाओं का कार्यारंभ किया गया है. सके तहत 5,030 ग्रामीण पथ और 31 पुल निर्माण की योजना है. वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू की थी. इसके तहत 100 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देती थी. अभी जो लोग केंद्र सरकार में हैं. उन्होंने वर्ष 2015 में इसे 60:40 कर दिया" -नीतीश कुमार, सीएम
पहले 1000 आबादी वाले गांव में ही बनती थी सड़क: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के खर्च को देखा जाय तो अब वह 50-50 हो गया है. पहले 1000 की आबादी वाले क्षेत्रों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से सड़क निर्माण कराया जाता था. बाद में इसे 500 आबादी कर दी गई. हमलोगों ने अपनी तरफ से 500 से लेकर 1000 तक की आबादी वाले गांवों को जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत की. इसे बाद में 250 से अधिक की आबादी वाले गांवों को जोड़ने की योजना बनायी गयी.
गांव-गांव तक पहुंचाई सड़क:ग्रामीण टोला सम्पर्क निश्चय योजना के तहत 100 से 250 तक की आबादी वाले ग्रामीण टोलों को पक्की सड़क से जोड़ने की योजना बनायी गयी. इसमें मुख्यतः अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अति पिछड़ा वर्ग के रहने वाले लोग होते हैं. पहले गरीब-गुरबा, अनुसूचित जाति-जनजाति, अतिपिछड़े वाले इलाके में सड़कें नहीं होती थी. वर्ष 2016 में हमलोगों ने सात निश्चय योजना के तहत इसे करने का फैसला लिया.
'अटल जी का भी नहीं लिया जा रहा नाम': मुख्यमंत्री ने कहा कि आज कल वे लोग अटल बिहारी वाजपेयी जी का भी नाम नहीं लेते हैं. हमलोगों के द्वारा कराये गये पुराने कार्यों को भी आपलोग जरूर याद रखियेगा. वर्ष 2018 से ही हम सड़कों को मेंटेन करने के लिए कहते रहे हैं. सड़क, पुल-पुलिया एवं भवनों को विभाग के द्वारा ही मेंटेनेंस का काम कराया जाना है. इसके लिए जितने इंजीनियर और दूसरे कर्मी की जरूरत है. उसकी बहाली तेजी से करायें. हमने भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, आपलोग मेरी बात मानिए और उस पर अमल कीजिये.