पटना: मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद में जल जीवन हरियाली अभियान के तहत जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम की शुरुआत की गई. 8 जिलों में मुख्यमंत्री ने इस अभियान की शुरुआत की है. कार्यक्रम शुरू होने के बाद वहां मौजूद नेताओं और दर्शकों को एक फिल्म के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि के बारे में जानकारी दी गई.
जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम का मुख्यमंत्री ने उद्घाटन करते हुए कहा इससे कृषि के क्षेत्र में बिहार में अच्छे परिणाम होंगे. इसके लिए जितनी भी धनराशि की आवश्यकता होगी उसे राज्य सरकार उपलब्ध कराएगी. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा अभी 8 जिलों में यह कार्यक्रम शुरू हो रहा है, लेकिन जल्द ही पूरे राज्य में इसे शुरू किया जाएगा.
कार्यक्रम को संबोधित करते सीएम नीतीश कुमार फसल अवशेष को खेत में नहीं जलाने की अपील
कृषि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम ने किसानों से फसल अवशेष को खेत में नहीं जलाने की अपील की. दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बिल गेट्स के बारे में बताते हुए सीएम ने कहा कि उन्होंने भी राज्य में जल जीवन हरियाली कार्यक्रम को लेकर आश्चर्य जताया है. बिल गेट्स ने कहा था कि बिहार में भी जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता जाहिर की जा रही है. यह बड़ी बात है.
जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के दौरान मंच पर उपस्थित सीएम और नेता प्रदेश में 15 प्रतिशत तक है ग्रीन कवर एरिया
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में पेड़ पौधों के बारे में बताते हुए कहा कि जब झारखंड अलग हुआ था तो बिहार में केवल 9 परसेंट हरित पट्टी था. हरियाली अभियान के तहत 24 करोड़ पेड़ लगाने थे. 2012 से शुरू हुए पेड़ पौधा लगाने का कार्यक्रम में 19 करोड़ पेड़ लगाए जा चुके हैं. आने वाले सालों में जल जीवन हरियाली अभियान के तहत 8 करोड़ पेड़ और लगाए जाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बिहार में 15 प्रतिशत तक ग्रीन कवर एरिया हो गया है.
एक फिल्म के माध्यम से दी गई जानकारी 11 सूत्री कार्यक्रम को मिशन मोड में किया जाना है पूरा
जल जीवन हरियाली अभियान पर 3 सालों में 24 हजार से अधिक की राशि खर्च कर 11 सूत्री कार्यक्रम को मिशन मोड में पूरा किया जाना है. जिससे जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे संकट से लोगों को निजात मिल सके और उसी अभियान के तहत जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम की शुरुआत की गई है.
जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम का शुभारंभ 8 जिलों के विज्ञान केंद्रों में किया जाएगा शुरुआत
बता दें कि इस योजना का क्रियान्यवन बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय पूसा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को करना है. बताया जा रहा है कि चारों विवि मिलकर पूसा में हो रहे कृषि कार्यों का जायजा लेगें, फिर पूरे बिहार के संदर्भ में क्या होना चाहिए उसे वैज्ञानिक सुनिश्चित करेंगे. अभी 8 जिलों के विज्ञान केंद्रों में इस कार्यक्रम को शुरू किया जाएगा.