पटना: अभी इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला अभी सुलझा नहीं कि राज्यों के चुनाव को लेकर विवाद खड़ा हो गया. कांग्रेस के खिलाफ नीतीश कुमार ने भी मध्य प्रदेश में उम्मीदवार खड़ा कर चुनौती दे दी है. नीतीश के इस फैसले को काउंटर करने के लिए बिहार की सरकार के गठबंधन का मजबूत हिस्सा कांग्रेस के हाथ को मजबूत करने में लगा है. लालू यादव दूरदर्शी राजनीतिज्ञ हैं. वो अपनी पार्टी के लिए मजबूत आधार चाहते हैं. जब नीतीश ने आनंद मोहन से नजदीकि बनानी शुरू की लालू ने भी अपनी सियासत का पैंतरा बदल दिया.
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वोट बैंक की तलाश: दरअसल, बिहार में जातिगत गणना के नतीजे आने के बाद बिहार में महागठबंधन के घटक दल वोट बैंक को भी मजबूत करने में जुटे हुए हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां अगड़ी जाति को साधने में जुटे हैं. वहीं लालू प्रसाद यादव श्री बाबू के बहाने भूमिहार वोट बैंक को साधना चाहते हैं. नीतीश कुमार शुक्रवार को आनंद मोहन के पैतृक गांव पहुंच रहे हैं और यह जताने की कोशिश होगी कि आगड़ी जाति से हमें परहेज नहीं है. जातिगत जनगणना की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद नीतीश कुमार ने न्यायिक सेवा में ई डब्ल्यू एस को आरक्षण देने का फैसला लिया. राजपूत वोट पहले से भाजपा और राजद में बंटता रहा है, लेकिन अब नीतीश कुमार की नजर भी 3.50 पर्सेंट वोट शेयर पर है.
नीतीश-आनंद मोहन और लालू कांग्रेस गठजोड़ : मिल रही जानकारी के मुताबिक आनंद मोहन और उनके छोटे पुत्र जदयू में शामिल हो सकते हैं. आनंद मोहन परिवार के जदयू में एंट्री से कोसी इलाके में जदयू पांव जमा सकती है. आपको बता दें कि आनंद मोहन और लालू प्रसाद यादव के बीच दूरियां बढ़ गई थीं. 'महिला आरक्षण और ठाकुर विवाद' के मुद्दे पर बिहार के बाहुबली आनंद मोहन काफी आक्रामक दिखे थे. उन्होंने राजद के बड़े नेता और सांसद मनोज झा को जमकर खरी खोटी सुनाई थी. इधर लालू प्रसाद यादव पहली बार किसी राजनीतिक कार्यक्रम में सदाकत आश्रम पहुंचे. कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने लालू प्रसाद यादव का गर्म जोशी के साथ स्वागत किया. श्री बाबू की जयंती समारोह के मौके पर कांग्रेस ऑफिस में जमकर सियासत हुई. लालू प्रसाद यादव ने एक तीर से कई निशान साधा.