पटना:10 महीने के अयांश (Ayansh) को एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज बिहार में है ही नहीं. बिहार ही क्या उसका इलाज भारत में भी नहीं है. अमेरिका से एक इंजेक्शन मंगाया जाएगा. उसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है. इस बाबत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकारी खजाने से अयांश की मदद नहीं की जा सकती है.
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स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (Spinal Muscular Atrophy) एसएमए (SMA) नाम की दुर्लभ बीमारी से 10 महीने का अयांश ग्रसित है. ईटीवी भारत ने भी बच्चे को बचाने के लिए मुहिम चलाई है. मासूम की मदद के लिए कई हाथ आगे आए हैं. लेकिन सूबे के मुखिया ने साफ कर दिया है कि सरकारी खजाने से बच्चे की कोई मदद नहीं की जा सकती है.
अयांश की मदद को लेकर सीएम का बड़ा बयान हमने भी बच्चे के बारे में सुना है. सब लोग बच्चे की मदद कर रहे हैं लेकिन सरकार की इसपर कोई स्कीम नहीं है. हमलोग भी लगातार कह रहे हैं कि बच्चे की मदद करें. हमारा मदद देने का जो स्कीम है वो सबको मालूम है. बहुत बड़ी राशि की जरुरत है इसलिए सभी थोड़ा थोड़ा मदद करेंगे तो बच्चे के लिए कुछ हो सकता है.- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
अयांश के इलाज के लिए 16 करोड़ का टीका लगना है. राशि बड़ी होने के कारण यह मामला विधानसभा और विधान परिषद में भी उठा था और अलग-अलग संस्थाओं की ओर से अभियान भी चलाया जा रहा है. देश और देश के बाहर भी राशि इकट्ठा की जा रही है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिलहाल इतनी राशि सरकार की ओर से देने को लेकर अपने हाथ खड़े कर दिए हैं.
बता दें कि इस बीमारी के लक्षण के साथ जन्म लेने वाले बच्चे अधिक से अधिक 2 साल तक जिंदा रह पाते हैं. फिर भी इसका अगर ठीक ढंग से ट्रीटमेंट हो जाए, तो बच्चे को नया जीवन मिल सकता है. राजधानी पटना के रूपसपुर (Rupaspur) इलाके में रहने वाले आलोक सिंह और नेहा सिंह के 10 महीने के बेटे अयांश को दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी है. इसके इलाज के लिए जिस इंजेक्शन की जरूरत होती है उसकी कीमत 16 करोड़ रुपए (Injection worth rupees 16 crores) है. इस बीमारी में बच्चे के शरीर के अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं.
देश में 450 दुर्लभ बीमारियों की लिस्टिंग की गई है, जिनमें से सिकल-सेल एनीमिया, ऑटो-इम्यून रोग, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया, गौचर रोग (Gaucher’s Disease) और सिस्टेम फाइब्रोसिस सबसे आम बीमारियां हैं. वैश्विक स्तर पर दुनिया में 7000 से ज्यादा ऐसी बीमारियां हैं, जिन्हें दुर्लभ श्रेणी में रखा गया है. इनमें हटिन्गटन्स डिजीज, सिस्टिक फाइब्रोसिस और मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी(Muscular Atrophy) वगैरह कुछ प्रमुख नाम हैं.
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