पटना :बिहार की कानून व्यवस्था को लेकर लगातार सवालिया निशान खड़े होते रहे हैं. हाल-फिलहाल में हुई बड़ी वारदातों के बाद सूबे में क्राइम का ग्राफ तेजी के साथ बढ़ा. हालात ऐसे हैं कि सीएम नीतीश कुमार को पिछले डेढ़ महीने में 5 बार समीक्षा बैठक करनी पड़ी है. बावजूद इसके, अपराधियों के हौसले चरम सीमा पर हैं.
अपराधी और भ्रष्ट अधिकारियों में पुलिस का खौफ बना रहे, इसके लिए सीएम नीतीश कुमार ने बिहार की सत्ता में एंट्री करते ही साल 2005 में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई थी. इसके तहत 'ट्रिपल सी' (CCC) 3 C मानें, क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज्म से कोई समझौता ना करने का निर्देश दिया गया. शुरूआती दौर में नीतीश कुमार ने जिस तरह का हथकंडा अपनाया, उनकी सरकार की वाहवाही हुई. यही कारण है कि 'सुशासन की सरकार' का टैग भी उन्हें मिला.
फिर से सुशासन की मांग
हाल के कुछ तीन सालों में क्राइम का ग्राफ तेजी के साथ बढ़ा है. पुलिस मुख्यालय के जारी आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं. हालांकि, समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार में संलिप्त, कार्य में कोताही बरतने और शराब व्यवसाय में संलिप्त पुलिसकर्मियों पर एक्शन लेने का निर्देश दिया गया है. मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक के बाद पुलिस मुख्यालय और गृह विभाग ने काम में लापरवाही बरते के आरोप में दो तत्कालीन डीएसपी पर विभागीय कार्रवाई संचालित करने का निर्देश दिया.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साफ कहना है कि किसी भी मामले में निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए और दोषी नहीं बचना चाहिए इसकी खास ध्यान देने की जरूरत है. ऐसे में नीतीश कुमार सक्रिय मोड में नजर आ रहे हैं. तो ये कहना गलत नहीं होगा कि नीतीश भी अब 2005 वाली अपनी जीरो टॉलरेंस वाले एजेंडे को फिर से हवा दे रहे हैं.
की गई है कार्रवाई
पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार की मानें, तो पुलिस मुख्यालय जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत काम कर रहा है, जिसके तहत लगातार पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जा रही है. एडीजी के मुताबिक साल 2020 में 600 से अधिक के भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई है. इनमें से कई पुलिसकर्मियों को सेवा से बर्खास्त भी किया गया है. आगे भी यह नीति लागू रहेगी.