पटना: आज दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवसमनाया जा रहा है. महिलाओं के लिए समर्पित ये दिन बहुत खास होता है. महिलाओं के सम्मान में ही हर साल इंटरनेशनल वूमेंस डे बहुत ही धूमधाम से मनाने की परंपरा रही है. वूमेंस डे पर जगह-जगह कार्यक्रम के आयोजन किए जा रहे हैं. इसी दौरान बिहार विधानसभा बजट सत्र का 12वां दिन है.
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यहां पर भी पक्ष और विपक्ष की महिला विधायक एकजुट होकर अपने अधिकारों को बताने में लगी हुई हैं, तो वहीं परिषद में काम करने वालीं सफाई कर्मी अपने अधिकारों को लेकर दबी जुबान में आवाज उठा रही हैं.
महिलाओं को करना पड़ता है संघर्ष
हमारे देश में महिलाओं को देवी कहा जाता है और उन्हें पूजने की बात की जाती है. महिलाओं का सम्मान होना चाहिए, इस पर एक सुर में सभी सहमति देते हैं. महिलाओं को आगे आना चाहिए, उन्हें वो सभी अधिकार मिलने चाहिए जो एक पुरुष के पास हैं, इससे कोई असहमत नहीं होता. लेकिन हर दिन हम ऐसी खबरों से घिरे रहते हैं, जहां किसी ना किसी महिला के साथ गलत हो रहा होता है. घर से लेकर वर्क प्लेस तक महिलाओं को संघर्ष करना पड़ता है, समस्याओं से जूझना पड़ता है.
सशक्त बनाने में सक्षम
कई जागरूक महिलाएं इसके खिलाफ आवाज उठाती हैं और सामने आकर लड़ती हैं, वहीं कई महिलाएं आज भी ये सोचकर रह जाती हैं कि औरतों को तो थोड़ा झेलना पड़ता ही है. लेकिन हमारे देश का कानून, संविधान और सरकार ऐसा मानती है कि ऐसे कई अधिकार महिलाओं के लिए हैं, जो उन्हें सशक्त बनाने में सक्षम हैं. कई इस बारे में जानती हैं, कई नहीं जान पाती हैं.
संसदीय कार्यप्रणाली में मिले सम्मान
बजट सत्र के दौरान पक्ष और विपक्ष की महिला विधायक अपने अधिकारों के लिए एकजुट होती हुई नजर आईं. महिला विधायकों का कहना है कि सरकार के तरफ से सम्मान तो मिला. लेकिन संसदीय कार्यप्रणाली में महिलाओं को जो सम्मान मिलना चाहिए था, वह अभी तक नहीं मिला है. लोग हमें दुर्गा-सरस्वती तो मानते हैं. लेकिन जब अधिकार की बात आती है तो, वह चुप होकर बैठ जाते हैं.
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उचित हक दिलाने की मांग
महिलाओं के सम्मान और उनको समाज में उचित हक दिलाने की मांग को लेकर विधान मंडल की साफ-सफाई करने वाली महिलाएं भी महिला दिवस के बारे में जानती तो हैं. लेकिन अपने हक और आवाज को लेकर काफी चिंतित दिख रहीं हैं. महिला सफाई कर्मी की मानें तो सम्मान तो मिलता है, लेकिन उचित आर्थिक सम्मान नहीं मिल पाने का मलाल भी है.