पटना: वक्त के साथ बिहार की राजनीतिक परिस्थिति भी बदल गई है. एक समय था जब चुनावी मैदान में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का मुकाबला उनके ही समकक्ष लालू प्रसाद यादव और राम विलास पासवान से हुआ करता था. लेकिन अब आरजेडी और एलजेपी की बागडोर युवा हाथों में आ गई है. नीतीश कुमार को अब तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और चिराग पासवान (Chirag Paswan) से सीधे लड़ाई करनी है. पिछले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी ने अकेले अपनी छाप भी छोड़ी है. लेकिन अब चिराग भी महागठबंधन में आ जाते हैं तो 70 साल के नीतीश कुमार को चुनावी अखाड़े में युवा चुनौती से भिड़ना होगा.
बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की जदयू (JDU) तीसरे नंबर की पार्टी बन कर रह गई. विधानसभा चुनाव के परिणाम में देखा गया कि चिराग पासवान के चलते नीतीश कुमार को भारी नुकसान हुआ है. इस पूरे खेल में सबसे बड़ा फायदा राष्ट्रीय जनता दल को हुआ. अब राजद चिराग पासवान को महागठबंधन में लाने की कोशिश में है. इसी बीच अगले कुछ दिनों में बिहार की 2 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं. दोनों सीटें जदयू के विधायकों के निधन से खाली हुई हैं. ऐसे में चिराग एक बार फिर नीतीश की टेंशन बढ़ाने वाले हैं.
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मुंगेर जिले की तारापुर विधानसभा सीट जदयू नेता मेवालाल चौधरी के निधन से खाली हुई है जबकि दरभंगा जिले की कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट जदयू नेता शशिभूषण हजारी के निधन से खाली हुई है. विधानसभा चुनाव में काफी कम सीटे मिलने से जदयू पहले ही बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी है. 2 विधायकों के निधन से जदयू को बड़ा झटका लगा है. इन दोनों सीटों के लिए अगले 6 महीने में उपचुनाव होगा. विधानसभा चुनाव में जदयू के खराब नतीजों के लिए चिराग पासवान को ही जिम्मेदार माना गया था. अब चिराग पासवान और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की नजदीकी खास तौर पर नीतीश कुमार की टेंशन बढ़ाने वाली है.