पटना:लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (Lok Janshakti Party Ramvilas) सुप्रीमो वलोजपा सांसद चिराग पासवान की सियासत करवट लेती दिख रही है. सगे चाचा से चिराग जहां आर पार की लड़ाई के मूड में हैं. वहीं नीतीश चाचा (chirag paswan want to settlement) के लिए मुलायम दिख रहे हैं. विधान परिषद चुनाव में चिराग पासवान ने जदयू के खिलाफ विधानसभा की तरह उम्मीदवार नहीं दिए. वहीं बुधवार को चिराग पासवान ने सीएम नीतीश कुमार के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की इच्छा जाहिर कर सबको चौंका दिया.
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पशुपति पारस पर गर्म पर नीतीश पर नरम:खुद को नरेंद्र मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग पासवान की नीतीश कुमार के साथ अदावत जगजाहिर है. विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने जदयू के खिलाफ सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए जिसकी वजह से जदयू को 35 सीटों का नुकसान हुआ. नाराज नीतीश कुमार ने भी बदला लेने में देरी नहीं की और लोजपा में दो फाड़ हो गई. पशुपति पारस (Pashupati Kumar Paras) नीतीश कुमार के समर्थन से केंद्र में मंत्री बनाए गए और चिराग पासवान को दिल्ली के बंगले से भी बेदखल होना पड़ा.
जदयू के खिलाफ नहीं दिए उम्मीदवार: चिराग पासवान चाचा पशुपति पारस को लेकर तो गर्म हैं, लेकिन नीतीश चाचा को लेकर उनके रुख नरम हैं. विधान परिषद की 24 सीटों के लिए चुनाव हुए लेकिन इस बार चिराग पासवान का रुख पहले की तरह नहीं था. चिराग ने जदयू के खिलाफ सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े नहीं किए. बदली हुई परिस्थितियों में चिराग पासवान अब नीतीश कुमार से खटास कम करना चाहते हैं.
चिराग के बदले सुर:हाल के दिनों में चिराग पासवान ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार का सम्मान करते हैं. वह उम्र रुतबे और तजुर्बे में मुझसे ज्यादा हैं. चिराग ने कहा कि वह पर्सनल रिलेशन को प्रोफेशनल रिलेशन पर हावी नहीं होने देते. जिस तरह मैं पारस चाचा का सम्मान करता हूं, नीतीश जी का भी इसी तरह सम्मान करता हूं. चिराग पासवान अब नीतीश कुमार से लंबी लड़ाई लड़ना नहीं चाहते और उनकी मंशा है कि दोनों नेताओं के बीच अब दूरी कम हो क्योंकि लोकसभा चुनाव राजनीतिक दलों के सामने बड़ी चुनौती की तरह है.
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बीजेपी भी चाहती है चिराग की वापसी: भाजपा भी चाहती है कि नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच समझौता हो और लड़ाई लंबी ना चले. पार्टी प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि नीतीश कुमार जी का विशाल हृदय है. अगर चिराग पासवान जी उनका आशीर्वाद लेंगे तो वह उन्हें बड़े दिल से स्वीकार भी करेंगे. राजनीति में उतार-चढ़ाव चलता रहता है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में अगर चिराग पासवान की वापसी होती है तो यह स्वागत योग्य कदम होगा.
"हमारे गठबंधन के साथी और नीतीश जी के काफी करीबी रहे हैं. नीतीश चिराग के पिता तुल्य हैं, बड़े हैं. अगर चिराग नीतीश कुमार का आशीर्वाद लेते हैं तो ये बहुत ही खुशी की बात है. हमारा भी मानना है कि सीएम का विशाल हृदय है इसलिए वे चिराग के जरूर आशीर्वाद देंगे."- विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी
जदयू के मुख्य प्रवक्ता का बयान:वहीं जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि भीमराव अंबेडकर के सपने को सच करने का काम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है. नीरज कुमार ने कहा कि चिराग पासवान जदयू के समर्थन से ही सांसद बने हैं. सिर्फ वह बयान देने के लिए पटना आते हैं. अगर उन्हें दलित सियासत समझनी है तो बिहार में कुछ समय तक रहें.
"हमारे ही आशीर्वाद से ही न लोकसभा पहुंचे. उस समय प्रशंसा के पुल बांधे थे. जमुई में हमारे ही बदौलत चिराग जला है. जब हमारा साथ छूटा तो अपने संसदीय क्षेत्र के तारापुर में नीचे से फर्स्ट कर गए. चिराग अपना समझे. हमारे साथ पशुपति पारस हैं, बहुत से लोग हैं. दलितों के लिए, रामविलास पासवान के सपनों को नीतीश कुमार ने पूरा करने का काम किया है. इसका कोई सानी नहीं है. हमें नहीं पता कि उन्हें गलती का एहसास है."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जदयू
चिराग के बदले रुख के क्या हैं मायने:लोजपा रामविलास पार्टी पशुपति पारस से नाराज है. पार्टी प्रवक्ता राजेश भट्ट ने कहा है कि पशुपति पारस रामविलास पासवान के सपने को तार-तार किया है और हम हर मोर्चे पर पशुपति पारस के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे. वहीं वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि सियासत में बयान के कूटनीतिक मतलब होते हैं. चिराग पासवान एक ओर आशीर्वाद लेने की बात कह रहे हैं तो दूसरी तरफ बिहार छोड़ने की नसीहत भी दे रहे हैं. चिराग पासवान भी चाचा नीतीश कुमार को केंद्र की राजनीति में जाने के संकेत दे रहे हैं.
"जिसने अपने भाई को राम तुल्य माना और उसी राम के मंदिर को ढहते हुए देखा. परिवार का मानमर्दन हुआ. लेकिन एक मात्र मंत्री परिषद में बने रहने के लिए चुप्पी साधे रहना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. पशुपति पारस अगर आज भी मंत्री बने हुए हैं तो वो सिर्फ रामविलास पासवान के संबंधों को लेकर. उनका भाई होने का उन्हें फायदा मिला है."- राजेश भट्ट,प्रवक्ता, लोजपा (रामविलास)
"जहां तक पारस पर गर्म होने की बात है तो ये बिल्कुल सही है क्योंकि पारस ने ही उनकी पार्टी को तोड़ा है. पारस ने उनके वजूद को खत्म करने का प्रयास किया है. साथ ही समय के अनुसार देखते हुए मंत्री पद भी केंद्र में ले चुके हैं. लेकिन कहा जा रहा है कि ये सबकुछ नीतीश के इशारे पर किया गया था. चिराग भी ये बात खुद कह चुके हैं. ललन सिंह उसमें थे ये भी जगजाहिर हुआ था. नीतीश की चिराग प्रशंसा करते हैं, आशीर्वाद लेने की बात करते हैं. वहीं दूसरी तरफ कहते हैं कि उन्हें बिहार छोड़ देना चाहिए. इस बयान को कूटनीतिक ढंग से देखे जाने की जरूरत है."- कौशलेंद्र प्रियदर्शी,राजनीतिक विश्लेषक
अस्तित्व बचाने में लगे हैं चिरागः जानकारी दें कि दिवंगत रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी यानि लोजपा में टूट के बाद उनके बेटे चिराग पासवान पार्टी का अस्तित्व बचाने में लगे हुए हैं. परिवार में ही विवाद के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान ने जदयू के खिलाफ अभियान छेड़ दिया था. जिसके बाद चिराग पासवान और नीतीश कुमार के रिश्तों में काफी तल्खी आयी है.
कई बातों से नाराज हुए थे नीतीश कुमारः आपको बता दें कि नीतीश कुमार भी चिराग पासवान से खफा हैं. विधानसभा चुनाव से ही चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच कोल्ड वार चल रहा है. नीतीश कुमार को कुछ बातों ने काफी नाराज किया था. विस चुनाव में लोजपा ने 135 उम्मीदवार उतारे, उसमें से 115 जदयू के खिलाफ उतारे थे. जिससे जदयू काफी कमजोर भी पड़ी थी. जदयू नेताओं का कहना था कि चिराग के कारण 36 सीटों का नुकसान पार्टी को हुआ था. इसके साथ ही चुनावी कैंपेन में चिराग पासवान ने खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताया था. इससे भी नीतीश को नुकसान हुआ. चिराग पासवान ने कहा था कि लोजपा के सत्ता में आने के बाद नीतीश कुमार जेल में होंगे.
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