अग्निपीड़ित की मदद नहीं करने पर भड़के चिराग पासवान पटना:बिहार की राजधानी पटना स्थित शास्त्री नगर आग से जले घरों का निरीक्षण करने और पीड़ितों से मिलने एलजेपीआर प्रमुख चिराग पासवान (LJPR chief Chirag Paswan ) पहुंचे हुए थे. इस दौरान वह मुख्यमंत्री और बिहार सरकार पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि बिहार में लोग जल रहे हैं और बिहार की सत्ताधारी पार्टियां इफ्तार पार्टी कर रही है. शास्त्रीनगर में जिस दिन यहां आग लगी, उसी दिन मुख्यमंत्री इफ्तार पार्टी कर रहे थे. मैं पूछना चाहता हूं कि''कैसे आपलोग इफ्तार पार्टी कर रहे हैं. कैसे आपलोगों का मन मान जाता है, ये सब करने के लिए. जितना पैसा पार्टियां इफ्तार पार्टी पर खर्च कर रही है. उसका एक हिस्सा भी अगर यहां खर्च कर दिया जाए तो इनका कुछ भला हो जाएगा.''
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'इफ्तार पार्टी में खर्च होने वाली रकम के कुछ हिस्से यहां पर खर्च कर दें': चिराग ने कहा कि मैं तमाम राजनीतिक दलों से कहूंगा कि जितना पैसा आपलोग इफ्तार पार्टी पर खर्च कर रहे हैं, उसका कुछ हिस्सा भी यहां खर्च कर दें तो इनकी जिंदगी बेहतर हो जाएगी. कैसे आप लोगों का दिल मानता है कि आपलोग इफ्तार करें और यहां पर आकर व्यवस्था न करें. यह सरकार में बैठे लोगों का अहंकार दिखाता है. सरकार के लोग यहां आना तक ठीक नहीं समझते. मुख्यमंत्री जी आप भी बिहारी हैं और इन झोपड़ी में रहने वाले लोग भी बिहारी हैं. फर्क इतना है कि आप नसीब से सीएम बन गए और ये लोग झोपड़ी में ही रह गए.
"बिहार में लोग जल रहे हैं और बिहार की सत्ताधारी पार्टियां इफ्तार पार्टी कर रही है. शास्त्रीनगर में जिस दिन यहां आग लगी, उसी दिन मुख्यमंत्री इफ्तार पार्टी कर रहे थे. मैं पूछना चाहता हूं कि कैसे आपलोग इफ्तार पार्टी कर रहे हैं. कैसे आपलोगों का मन मान जाता है, ये सब करने के लिए. जितना पैसा पार्टियां इफ्तार पार्टी पर खर्च कर रही है. उसका एक हिस्सा भी अगर यहां खर्च कर दिया जाए तो इनका कुछ भला हो जाएगा"- चिराग पासवान, एलजेपीआर प्रमुख
'बददुआ मत लीजिए नीतीश जी': चिराग पासवान ने कहा कि आप मुख्यमंत्री बनने का अहंकार मत रखिये. इनलोगों की बददुआ नहीं लीजिए. इनके मवेशी तक जल गए. इसके बाद भी सरकार के लोग एसी कमरे में बैठकर इफ्तार पार्टी कर रहे हैं. मेरी यही मांग है कि यहीं इनलोगों का पुनर्वास किया जाए. यहां येलोग 50 सालों से रह रहे हैं. एक जमीन का टुकड़ा अगर रहने के लिए इन गरीबों को मिल जाएगा तो कौन सा पहाड़ टूट जाएगा.
सिर्फ 9800 रुपये की मदद से हो गई जिम्मेदारी पूरी:चिराग ने कहा कि घटना ऐसी जगह हुई है, जहां अगल-बगल सिर्फ माननीय लोग ही हैं. लेकिन किसी ने आकर हाल नहीं लिया. कैसे नहीं किसी का दिल पिघलता इसे देख कर. 9800 की मदद कर दी बस इसी में हो गया इनलोगों का. क्या इतनी छोटी रकम में पुनर्वास हो जाएगा. भगवान न करे कि किसी माननीय के घर ऐसा कुछ हो. यहां छोटा सा बच्चा यहां जले हुए ग्लास में पानी पी रहा है. कुछ नहीं बचा है यहां. इनलोगों की पहचान तक नहीं बची इन लोगों के पास.
'मैं बेबस महसूस कर रहा' चिराग पासवान ने कहा मुख्यमंत्री का महल कितना दूर है यहां से. कुछ नहीं करें, वह बस यहां आकर एक बार लोगों से मिलकर दिलासा दे दें. इससे उम्मीद बंधती है. उम्मीद टूट रही है. इन लोगों की उम्मीद खत्म हो जाएगी तो येलोग जीएंगे कैसे. मैं आज खुद को बेबस महसूस कर रहा हूं. मैं न केंद्र सरकार में हूं न राज्य सरकार में, फिर भी मुझसे जितना बन पड़ेगा मैं उतना करूंगा. एक दो तिरपाल लगा देने से, पानी की टंकी लगा देने से या फिर एक दो टाइम के खाने की व्यवस्था कर देने से क्या होगा. राघोपुर का भी यही हाल है.