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पंचतत्व में विलीन हुए रामविलास, मुखाग्नि देते वक्त बेसुध हुए चिराग

दीघा घाट पर राजकीय सम्मान के साथ केंद्रीय मंत्री को अंतिम विदाई दी गई. इस मौके पर सीएम नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी मौजूद थे.

पटना
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Published : Oct 10, 2020, 6:34 PM IST

पटना: केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गये. पटना के गंगा तट के दीघा के जनार्दन घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ दिवंगत रामविलास का अंतिम संस्कार किया गया. लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने पिता को मुखाग्नि दी. इस दौरान वे कुछ समय के लिए बेसुध नजर आए. इससे पहले उनके पार्थिव शरीर के साथ उनके आवास एस के पुरी से फूलों से लदे एक वाहन पर उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें बडी संख्या में लोग शामिल हुए.

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एक झलक पाने को आतुर दिखे लोग
अंतिम यात्रा में जगह-जगह से लोग जुड़ते जा रहे थे. लोग 'जब तक सूरज चांद रहेगा, रामविलास तेरा नाम रहेगा', 'रामविलास अमर रहे' जैसे नारे लगाते रहे. यहां से उनके पार्थिव शरीर को गंगा तट ले जाया गया. उनकी यात्रा में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद उपस्थित रहे. राम विलास पासवान का पार्थिव शरीर जैसे ही दीघा के जनार्दन घाट पहुंचा, वहां मौजूद लोग उनकी एक झलक पाने के लिए टूट पड़े. किसी तरह उन्हें नियंत्रित किया गया. इस दौरान मौजूद लोगों ने गगनभेदी नारे लगाए.

परिवार के सभी सदस्य रहे मौजूद
जनार्दन घाट पर चिराग के साथ उनके भाई प्रिंस राज और परिवार के सभी सदस्य मौजूद थे. लोजपा के अध्यक्ष चिराग मुखग्नि देते हुए बेसुध हो गए. किसी तरह उन्हें संभाला गया. इस मौके पर बिहार के मुख्यमत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, नित्यानंद राय सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे.

कई नेताओं ने दी श्रद्घांजलि
बता दें कि रामविलास पासवान ने गुरुवार शाम 74 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. शुक्रवार शाम पासवान का पार्थिव शरीर वायुसेना के विशेष विमान से पटना लाया गया था, जहां बिहार के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं ने उन्हें श्रद्घांजलि अर्पित की. इसके बाद इनके पार्थिव शरीर को विधानसभा परिसर और फिर लोजपा कार्यालय लाया गया. उनके अंतिम दर्शन के लिए राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से लोग राजधानी पहुंचे थे.

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