नई दिल्ली/पटना: लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई से सांसद चिराग पासवान ने सरकारी नौकरियों और प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर असहमति जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी को अपने निर्णय में कहा था कि सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरी/प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है. ईटीवी भारत से बात करते हुए चिराग पासवान ने केंद्र सरकार से आरक्षण को फिर से बहाल करने की मांग की है.
'संविधान की 9वीं अनुसूची में डाले जाएं आरक्षण से जुड़े सभी विषय, ताकि जनता न हो गुमराह' - constitution of india
चिराग पासवान ने कहा कि आरक्षण के मामले में सरकार को हस्ताक्षेप करना चाहिए. आरक्षण से जुड़े सभी विषयों को संविधान की 9वीं अनुसूची में डाल दिया जाए, ताकि इस विषय पर भय समाप्त हो जाए.
चिराग पासवान ने कहा कि मेरी पार्टी उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से सहमत नहीं है. यह निर्णय पूना पैक्ट समझौते के खिलाफ है. केंद्र सरकार से मांग है कि तत्काल इस संबंध में कदम उठाकर आरक्षण/पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था जिस तरीके से चल रही है, उसी तरीके से चलने दिया जाए. उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार को हस्ताक्षेप करना चाहिए. आरक्षण से जुड़े सभी विषयों को संविधान की 9वीं अनुसूची में डाल दिया जाए, ताकि इस विषय पर भय समाप्त हो जाए.
जनता को गुमराह न करे विपक्ष- चिराग पासवान
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद राहुल गांधी ने कहा है कि सरकार आरक्षण को समाप्त करना चाहती है. कांग्रेस ये भी आरोप लगा रही कि केंद्र सरकार दलित विरोधी है. चिराग पासवान ने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का पलटवार करते हुए कहा कि एनडीए सरकार ने एक नहीं, अनेक बार एससी/एसटी, ओबीसी वर्ग को मजबूत बनाने का काम किया है. मोदी सरकार दलित हितैषी है. दलितों का हमेशा ख्याल रखती है, आरक्षण कभी खत्म नहीं हो सकता, विपक्ष जनता को गुमराह करना बंद करे.