पटनाःबिहार में सियासत ( Politics In Bihar ) ने करवट बदल ली है.चिराग पासवान( Chirag paswan ) के हाथ से लोजपा ( LJP )की कमान छीन गया ही समझिए. चाचा पशुपति पारस ( Pashupati Paras ) को पार्टी के सांसदों ने जहां अपना नेता मान लिया, वहीं चिराग को संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष से हटा दिया गया है. अब ऐसे में एक ही सवाल उठ रहा है कि पार्टी और परिवार को चिराग पासवान बचा पाएंगे?
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इंतजार के बाद चाचा के घर का खुला दरवाजा
पशुपति पारस( Pashupati Paras ) और अन्य चार सांसदों के बागी हो जाने की खबरों के बीच आनन-फानन में चिराग पासवान ( Chirag paswan ) चाचा पशुपति पारस के दिल्ली आवास पहुंचे. लेकिन 24 घंटे चिराग के लिए खुले रहने वाले दरवाजे बंद मिले. चिराग पासवान को करीब आधे घंटे तक दरवाजे पर इंतजार करना पड़ा. वे दरवाजे पर हॉर्न बजाते रहे. आधे घंटे बाद जब बंगले का दरवाजा खुला तो चाचा पशुपति गायब मिले. इसके बाद सवाल ये उठने लगा है कि अभी-अभी प्रेसवार्ता में चिराग से कोई दिक्कत नहीं होने की बात कहने पशुपति चिराग से मिलना तक नहीं चाहते?
पहले भी बंगले में आई है दरार
ऐसा नहीं है कि एलजेपी में पहली बार दरार आई है. इससे पहले भी रामविलास पासवान का बंगले में दरार आई लेकिन उन्होंने इसे पूरी तरह ढहने के कगार तक नहीं जाने दिया. पार्टी में सबसे बड़ी टूट 2005 में हुई थी जब एलजेपी के 29 विधायक बिहार विधानसभा चुनाव जीतकर आए थे. बहुमत किसी दल के पास नहीं था लेकिन एलजेपी विधायकों ने रामाश्रय प्रसाद सिंह के नेतृत्व में जेडीयू का दामन थाम लिया था. लेकिन उस वक्त पार्टी में दरार आई थी, इस बार पार्टी और परिवार में!
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