पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के बाद एनडीए की बैठक में लोजपा (रामविलास) अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान (LJP MP Chirag Paswan ) पहली बार शामिल हुए हैं. एनडीए की बैठक में चिराग के शामिल होने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉक्टर संजय की मानें तो साल 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चिराग पासवान का इन दिनों NDA की तरफ झुकाव देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि उनके पिता के देहांत के बाद जिस तरह से उनके पिता के सरकारी बंगले को खाली करवाया गया और उनकी तस्वीरें हटाई गईं, उस समय जिस तरह से चिराग पासवान के तेवर बीजेपी के खिलाफ दिखते थे उनमें अब काफी बदलाव देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि राजनीति में सम्मान और अपमान नहीं होता है, यहां पर सिर्फ हार और जीत होती है.
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'चिराग पासवान भी खुद को एनडीए में महसूस करते हैं, उन्हें भी ये पता है कि बिना एनडीए के घटक दल के सपोर्ट के वह सांसद नहीं बन सकते हैं. 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर सभी सांसद ने अपने-अपने क्षेत्रों में तैयारियों की बीज बोना शुरू कर दिया है, तभी 24 में फसल काटी जा सकती है. मां का बंधन चिराग पासवान को भाव देने वाला नहीं है, क्योंकि इस गठबंधन की खुद की अपनी पकड़ और कैमिस्ट्री है. ऐसे में माना यह भी जा रहा है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में अगर भाजपा और जदयू के बीच नहीं बनती है तो दलित और युवा चेहरा के रूप में भाजपा चिराग पासवान को आगे कर सकती है'- डॉक्टर संजय, राजनीतिक विश्लेषक
सिर्फ राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे को लेकर बैठक में शामिल हुए: चिराग पासवान के एनडीए की बैठक में शामिल होने को लेकर जो मायने निकाले जा रहे हैं, उस पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रधान महासचिव संजय पासवान ने ईटीवी भारत से टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान बताया कि चिराग एनडीए की बैठक में शामिल सिर्फ एनडीए राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के मुद्दे को लेकर हुए हैं. अभी लोक जनशक्ति पार्टी (रामलीला) एनडीए का हिस्सा नहीं है. वह सिर्फ अपनी पार्टी और संगठन को मजबूत करने का काम कर रहे हैं.
हाजीपुर से अगला चुनाव लड़ेंगे चिराग पासवान : पॉलिटिकल एक्पर्ट डॉक्टर संजय की मानें तो बीजेपी की ओर से चिराग पासवान का झुकाव का मकसद साल 2024 का लोकसभा और 2025 का विधानसभा चुनाव है. उनका मानना है कि बिना एनडीए गठबंधन के लोजपा सांसद चिराग पासवान का जीत पाना भी मुमकिन नहीं होगा. उन्होंने बताया कि जमुई से चिराग पासवान दो बार सांसद रहे हैं, उसके पीछे कहीं न कहीं बड़ा कारण एनडीए गठबंधन रहा है. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि इस बार चिराग पासवान जमुई से लोकसभा चुनाव न लड़कर हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे, वहां भी उन्हें एनडीए की जरूरत होगी. चिराग पासवान सिर्फ पासवान वोट से संसद नहीं पहुंच सकते हैं. इसके लिए उन्हें अगड़ी जाति का भी समर्थन चाहिए जो कि बीजेपी के पास है. उन्होंने कहा कि चिराग पासवान इन दिनों जमुई से ज्यादा हाजीपुर लोकसभा सीट पर ध्यान दे रहे हैं क्योंकि यह उनकी पुश्तैनी सीट रही है. चिराग पासवान इस बार हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे हालांकि इस बात की औपचारिक ऐलान उन्होंने नहीं किया है. अगर एनडीए गठबंधन में वो रहते हैं तो चिराग पासवान को NDA अपने उम्मीदवार के रूप में वहां से उतार सकती है और उनके चाचा जो पहले भी कहीं और से चुनाव लड़ चुके हैं वहां से उन्हें टिकट दिया जा सकता है.
महागठबंधन में नहीं गलने वाली दाल :पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉक्टर संजय की मानें तो चिराग पासवान को भी पता है कि उनकी दाल महागठबंधन में नहीं गलने वाली है क्योंकि वहां पर पहले से ही तेजस्वी यादव का चेहरा है जो अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखे जा रहे हैं. ऐसे में चिराग पासवान और बीजेपी को भी लगता है कि अगर बीजेपी और जेडीयू में आगे नहीं बनती है तो उनके पास भी दलित और युवा चेहरा के रूप में चिराग पासवान हैं. हालांकि एनडीए की बैठक में शामिल होने को लेकर चिराग पासवान ने कहा है कि वह राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन के लिए NDA के बैठक में शामिल हुए हैं.