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लॉकडाउन में बच्चे हो रहे सबसे ज्यादा परेशान, मनोचिकित्सक से जानिए कैसे रखें मासूमों का ख्याल - पटना न्यूज

कोरोना काल ने सभी की जिंदगी में गहरा प्रभाव डाला है. लॉकडाउन के कारण लोग घरों में ही कैद हो गए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है. कैसे और क्यों बच्चे मानसिक रुप से बीमार हो रहे हैं जानिए इस रिपोर्ट में...

lockdown in bihar
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Published : May 25, 2021, 10:25 PM IST

Updated : May 25, 2021, 10:43 PM IST

पटना: बिहार में अप्रैल महीने से ही स्कूल कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थान बंद हैं. मई महीने में रही सही कसर लॉकडाउन ने पूरी कर दी. बच्चे स्कूल जाने और खेलने कूदने की उम्र में घरों में कैद हो गए हैं. ऐसे में बच्चे मानसिक रुप से बीमार हो सकते हैं. स्कूल, कॉलेज, शिक्षण संस्थानों तो बंद हैं ही खेल मैदान और अन्य गतिविधियों पर भी पाबंदी है जिसका सीधा असर बच्चों पर पड़ रहा है.

देखें रिपोर्ट

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लॉकडाउन में बच्चे परेशान
लॉकडाउन में ज्यादातर बच्चे उदास रहने लगे हैं. बहुत से बच्चों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन भी आ रहा है. बच्चे स्वभाव से ही चंचल होते हैं. घर में बंद रहने से वे अब मानसिक रूप से परेशान होने लगे हैं. पहले की तरह वे अब अपने दोस्तों के साथ खेलने नहीं जा सकते हैं. लॉकडाउन लगने के पहले से ही उनके स्कूल बंद हैं. घर के बाहर गली में भी उनका निकलना मना है. लंबे समय से वे पार्क में भी नहीं गए हैं. जो बच्चे कुछ बड़े हैं, वे तो परिस्थिति को समझ भी रहे हैं, लेकिन जिनकी उम्र कम है, उनकी परेशानी ज्यादा बढ़ गई है. वे समझ नहीं पा रहे हैं कि किस वजह से लोग कहीं बाहर नहीं आ-जा रहे. ऐसे में, बच्चों के साथ अलग तरह से पेश आने की जरूरत है, ताकि वे तनाव में न आएं.

कई बच्चों का स्वभाव हो रहा चिड़चिड़ा

'बच्चे लगातार घर में रहकर और ऑनलाइन पढ़ाई से अब ऊब चुके हैं. बच्चे बाहर निकलना चाहते हैं. लंबे समय से घर की चारदीवारी के अंदर रहने से अब उनमें चिड़चिड़ापन भी साफ नजर आ रहा है. ऐसे में लॉकडाउन में कुछ छूट देने की जरुरत है.'- संजय राजगीरी, अभिभावक

लॉकडाउन में बच्चे हो रहे परेशान

'बच्चों को संक्रमण से बचाना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन लंबे समय तक घर में रहने से वे बेचैनी महसूस कर रहे हैं. उनकी बेचैनी देख कर हम भी परेशान हैं और इसलिए सरकार से अपील करते हैं कि जैसे ही स्थितियां सामान्य हो तो धीरे-धीरे ऐसी छूट मिले कि बच्चे भी घर से बाहर निकल सकें.'- संजीव, अभिभावक

मनोचिकित्सक की सलाह
इस बारे में हमने मनोचिकित्सक डॉक्टर बिंदा सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि बच्चों की परेशानी को लेकर कई अभिभावक फोन कर रहे हैं और उनसे सलाह ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि बच्चों को प्यार से समझाना और उन्हें बाहर की स्थितियों से अवगत कराना हमारी प्रमुख जिम्मेदारी है. बच्चों को समझाने और समझने की जरूरत है. इसी तरह इस बात के लिए तैयार करना है कि कुछ और समय तक घर में रहना पड़ सकता है.उन्होंने बताया कि बच्चों की मनपसंद एक्टिविटीज को घर में करवा कर उन्हें खुश रखा जा सकता है.

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Last Updated : May 25, 2021, 10:43 PM IST

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