नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार पटना:लालू परिवारपर ईडी और सीबीआई ने कार्रवाई तेज कर दी है. बिहार में चर्चा उठने लगी है कि 'क्या बिहार में गठबंधन बदलने वाला है?' पूरा सीन 2017 वाला ही बन चुका है. माहौल भी बिल्कुल ही वैसा ही है. इस बार भी बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव निशाने पर हैं. 24 ठिकानों पर मारे गए छापे में ED ने 600 करोड़ के 'आपराधिक लेन-देन' का दावा किया है. 1 करोड़ कैश, डेढ़ किलो सोना, 540 ग्राम सोने के सिक्के बरामद हुए जिसके आधार पर ये माना जाने लगा है कि लालू परिवार को नीतीश आखिर कब तक डिफेंड कर सकेंगे?
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'निष्कंटक राज मिलने की खुशी है': बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी सवाल उठाये हैं कि नीतीश को कभी इतना खुश नहीं देखा है. इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि इस कार्रवाई से नीतीश का प्रेशर कम हुआ है. क्योंकि उनपर सीएम की कुर्सी तेजस्वी को सौंपने का प्रेशर बनाया जा रहा था. लेकिन अब इस कार्रवाई के बाद कम से कम 2025 तक वो निष्कंटक राज कर सकेंगे. विपक्ष के दावे में सच्चाई है? वैसे भी बीजेपी किसी भी कीमत पर अब नीतीश के साथ गठबंधन को तैयार भी नहीं है. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी मिलने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ रहे हैं. लखनऊ में जाकर सपा के साथ गठबंधन का ऐलान भी वो करके आए हैं.
ED की इंट्री से बढ़ सकती है मुश्किल: एक-एक कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुनबे के लोग उनकी नाव से उतरते जा रहे हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल यही प्रचारित कर रहे हैं. नीतीश को कमजोर दिखाकर बीजेपी खुद को बिहार में सबसे बड़ा दल दिखाने की कोशिश कर रही है. तो वहीं लालू परिवार घोटालों के चलते मुश्किलों में घिरता जा रहा है. जानकारों की मानें तो 2017 की कार्रवाई और 2023 की कार्रवाई में फर्क है. क्योंकि तब ईडी की इंट्री इतनी पावरफुल नहीं थी. 2023 की हुई कार्रवाई में ईडी 'सुप्रीम कोर्ट' के जजमेंट के बाद पावरफुल होकर निकली है. नए नियम से कार्रवाई हुई तो तेजस्वी यादव और लालू परिवार मुश्किल में पड़ सकते हैं. बीजेपी कह भी रही है कि लालू परिवार को जेल जाने से अब कोई भी नहीं बचा सकता.
नीतीश के चेहरे की हंसी क्या कहती है: नीतीश से जब मीडिया कर्मियों ने सभी आशंकाओं को आधार बनाकर पूछा तो उनकी एक विशेष तरह की हंसी चेहरे पर तैर रही थी. हो सकता है कि बीजेपी ने उस हंसी के पीछे को एक आकार देना शुरू कर दिया हो. हालांकि ये कह देना जरूरी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पत्रकारों से ऐसा इंटरेक्शन कोई नया नहीं है. वो हमेशा सहज ढंग से ही मीडिया कर्मियों से मिलते हैं और उनके सवालों का जवाब देने का ढंग, बिना लाग-लपेट के बिल्कुल सामान्य ही रहता है. लेकिन नीतीश की हंसी एक सवाल जरूर छोड़ती है. वही सवाल आज बिहार की राजनीति में घूम रहा है. हर कोई पूछ रहा है क्या गठबंधन बदलने वाला है? नीतीश इस सवाल पर हंसकर आगे बढ़ जाते हैं लेकिन देखना ये है कि महागठबंधन कब तक टिका रहता है?