पटनाः लोक आस्था का महापर्व छठ 17 नवंबर शुक्रवार से 20 नवंबर सोमवार तक मनाई जाएगी. बिहार में छठ महापर्व धूम धाम से मनाया जाता है. छठ त्योहार भगवान सूर्य देव को समर्पित है. छठ में व्रती नदी या तालाब में जाकर उगते और डूबते सूरज को 'अर्घ्य' देते हैं. लोक आस्था के इस महापर्व में गंगा जल का विशेष महत्व है. लोग गंगा नदी में जाकर अर्घ्य देना पसंद करते हैं. प्रसाद भी गंगा जल से बनाने का प्रयास करते हैं.
घर-घर गंगा जल पहुंचा रहा निगमः लोक आस्था के महापर्व पर लोगों को गंगा जल लाने में परेशानी ना हो इसके लिए नगर निगम के द्वारा पहल की गई है. टैंकर के द्वारा गंगा नदी से दूर दराज गली मोहल्ले में रहने वाले छठ व्रतियों के लिए घर-घर जाकर गंगाजल पहुंचाया जाएगा. साथ-साथ छोटे-छोटे तालाबों में भी गंगाजल डाले जाएंगे, जिससे कि जो लोग गंगा घाट पर नहीं पहुंच पाते हैं वह भी गंगा जल के सहारे छठ व्रत कर सकेंगे.
कृत्रिम तालाब में गंगा जल डाला जाएगाः बता दें कि गंगा नदी में पानी कम होने के कारण कई घाट खतरनाक घोषित किये गये हैं. इस वजह से कई लोग अब गंगा घाट ना जाकर मुहल्ले में ही पोखर बनाकर अर्घ्य देते हैं. इन तालाबों में गंगा जल मिलाने की व्यवस्था नगर निगम ने की है ताकि लोगों की आस्था बनी रही. घर-घर गंगाजल पहुंचने वाले ड्राइवर ने बताया कि जिला प्रशासन का निर्देश है कि हर गली मोहल्ले में गंगाजल घर-घर तक पहुंचना है. साथ जितने भी कृत्रिम तालाब है उसमें भी गंगाजल डालना है.
17 नवंबर से नहाय खाय के साथ छठ की शुरुआत: भगवान सूर्य की उपासना का पर्व छठ शुक्रवार 17 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू होगा. नहाय-खाय के मौके पर व्रती महिलाएं स्नान और पूजन-अर्चना के बाद कद्दू और चावल के बने प्रसाद को ग्रहण करती हैं और खाने में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है. इसके अगले दिन खरना के साथ व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा.