पटनाःबिहार के पटना गंगा घाट पर छठ पूजा की तैयारी पूरी हो चुकी है. शनिवार की शाम खरना का प्रसाद खाने के बाद पहला अर्घ्य की तैयारी शुरू हो गई है. रविवार को बिहार के तमाम घाटों पर सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. इसके अगले दिन सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूजा संपन्न होगा. इस बार आस्था का ऐसा उदाहरण बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही कभी सुनने को मिला होगा.
तीन दिनों तक गंगा किनारे छठी मईया की पूजाःहम बात कर रहे हैं पटना छठ घाट की. यहां दूर-दूर से छठ व्रती आकर सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं. नहाय खाय से पर्व की शुरुआत होती है. खरना से लेकर तीन दिनों तक व्रती गंगा किनारे ही रहकर छठी मईया की आराधना करती हैं. इसमें परिवार के अन्य लोग भी शामिल होते हैं. घाट किनारे ही तंबू लगाकर व्रती और परिवार के अन्य सदस्य रहते हैं. परना के बाद सभी लोग घर जाते हैं.
'पोता-पोती की मन्नत पूरी की छठी मईया': मसौढ़ी से आई छठ व्रती प्रमिला देवी बताती हैं कि छठी मईया से पोता-पोती की मन्नत मानी थी. पूरा होने के बाद हर साल गंगा घाट किनारे आकार पूरे परिवार के साथ छठ करती हैं. जहानाबाद से आई महिला रामरती देवी बताती है कि "पिछले 5 साल से गंगा किनारे रहकर छठ व्रत करती है. छठी मईया दुख-दर्द हरती है, इसलिए हमलोग तीन दिनों तक यहीं रहकर छठ पूजा करते हैं."
"पोता-पोती के लिए मन्नत माने थे, जो पूरा हुआ. इसलिए हमलोग तीन दिनों तक गंगा किनारे रहकर पूजा करते हैं. यहीं खरना और अर्घ्य के लिए प्रसाद बनाया जाता है. परना के दिन पूजा संपन्न होने के बाद सभी लोग घर जाते हैं."-प्रमिला देवी, व्रती
वर्षों से गंगा किनारे छठी मईया की आराधनाः जहानाबाद से ही आई व्रती रानी देवी का कहना है कि "छठी मईया से जो मन्नत मांगते हैं, वह पूरा होता है. कई मन्नते पूरी हुई है. इसलिए वर्षों से गंगा किनारे रहकर छठ व्रत करती हैं. इसी जगह खरना का प्रसाद बनता है. इसके बाद अगले दिन अर्घ्य के लिए भी यहीं प्रसाद बनता है. परना के दिन पूजा संपन्न होने के बाद घर के लिए प्रस्थान करती हैं."इस तरह आस्था का अनोखा उदाहरण छठी मईया की महिला को दर्शाता है.