पटना: लोक आस्था का महापर्व छठ नहाए खाए के साथ आज से शुरू हो गया है. चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन नहाए खाय के मौके पर पटना के विभिन्न ने छठ घाटों पर गंगा नदी किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी और गंगा स्नान किया. हालांकि पटना का कृष्णा घाट हो या गांधी घाट, तमाम छठ घाटों की सीढ़ियों से गंगा की धारा दूर चली गई है. इस वजह से सीढ़ियों से उतरने के बाद श्रद्धालुओं को दलदल भरे पानी में चलकर गंगा स्नान के लिए जाना पड़ रहा है. इससे थोड़ी श्रद्धालुओं को परेशानी भी हो रही है. इस वजह से घाट पर बेहतर प्रबंधन न किए जाने की बातें कह रही है.
नहाय खाय के साथ छठ व्रत शुरू: छठ व्रती रेणु देवी ने बताया कि छठ पूजा आस्था का महापर्व है. इसमें शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है. गंगाजल सबसे शुद्ध होता है, इसलिए आज नहाए खाए के मौके पर शरीर को शुद्ध करने के लिए गंगाजल का स्नान किया जाता है. फिर यहां से गंगाजल लेकर वह घर लेकर जाती हैं. छठ पूजा के जितने भी प्रसाद बनते हैं सभी में गंगाजल डाला जाता है. ताकि प्रसाद की शुद्धता बरकरार रहे.
''इस बार गांधी घाट से गंगा की धारा दूर हो गई हैं. इस वजह से गंगा स्नान में थोड़ी दिक्कत हुई है, दलदल में पैर फंस रहा है. इस बार यहां प्रबंधन बेहतर नहीं है और बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता है, ताकि स्नान के दौरान जो नदी में गड्ढे मिल रहे हैं उसमें व्रती गिरे नहीं.''- रेणु देवी, छठ व्रती
छठ व्रती नीतू पोद्दार ने बताया कि ''छठ शुद्धता का पर्व है. गंगाजल का छठ में विशेष महत्व हो जाता है. छठ के जितने भी प्रसाद बनते हैं, ठेकुआ खजूर और अन्य प्रसाद सभी में गंगाजल का इस्तेमाल होता है. नहाए खाए का भी जो प्रसाद बनता है, यह खरना का प्रसाद बनता है. सभी में गंगाजल डाला जाता है, ताकि प्रसाद की शुद्धता बनी रहे.''
छठ व्रती शांति देवी ने बताया कि ''ऐसा लग रहा है कि पटना से गंगा जी रूठ रही हैं. गंगा की धारा घाट से दूर जा रही है. पहली बार अपने जीवन में गांधी घाट के पास गंगा की धारा को इतनी दूर देखी हैं. स्नान करने में परेशानी हुई है, क्योंकि पानी कम है और दलदल अधिक है. पानी में जगह-जगह गड्ढे भी हैं. स्नान के दौरान गिरने का भी खतरा बना हुआ है. लोग गिर भी रहे हैं.''