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पुलिस के चेहरे में पहले की तुलना में आया काफी बदलाव, कार्य पद्धति को बदलने की कोशिश जारी - बिहार में अपराध में कमी

एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार की माने तो पहले की तुलना में अब हम लोग निरंतर और उत्तरोत्तर रूप से खुद को प्रोफेशनली अपने को समृद्ध करने में लगे हुए हैं. पहले की अपेक्षा बिहार पुलिस अब ज्यादा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है. जितेंद्र कुमार ने बताया कि हमारा प्रयास है कि एक फ्रेंडली पुलिस का चेहरा आम जनता के बीच बन सके.

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Published : Sep 1, 2020, 9:28 PM IST

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब 2005 में सरकार में आए थे. तब उस समय उन्होंने 3सी यानी क्राइम करप्सन और कममुनलिस्म से कोई समझौता नहीं करेंगे. इसका उन्होंने नारा दिया था. साथ ही उन्होंने जीरो टॉलरेंस की बात कही थी. पुलिस को समृद्ध बनाने के लिए राज्य सरकार ने राजधानी पटना में सरदार पटेल भवन स्थित पुलिस मुख्यालय बिल्डिंग का निर्माण किया. साथ ही बिहार के कई जिलों में कई नए थाने भवन का निर्माण किया गया.

पुलिस के कामकाज में काफी बदलाव

बिहार के पुलिस थानों में पुराने वाहनों को हटाकर नए वाहन दिए गए हैं. साथ ही पुलिस की वाहनों में जीपीएस सिस्टम भी लगाया गया है. पुलिस मुख्यालय के एडीजी की मानें तो पुलिस के चेहरा आम जनता के बीच बदल सके. इसको लेकर समय-समय पर पुलिस को ट्रेनिंग दी जाती है. पुलिस को ट्रेनिंग मॉडल के साथ-साथ प्रोफेशनल कुशलता दिया जा रहा है. इस वजह से पुलिस के वार्षिक बजट में हर साल बढ़ोतरी की जा रही है. जितेंद्र कुमार की माने तो फील्ड पुलिसिंग को अच्छे भवन, अच्छा थाना मिलने से उनके इमेज में भी बदलाव आता है.

पुलिस के वाहनों में लगाया गया जीपीएस सिस्टम

क्या कहते हैं एडीजी जितेंद्र कुमार
एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार की माने तो पहले की तुलना में अब हम लोग निरंतर और उत्तरोत्तर रूप से खुद को प्रोफेशनली अपने को समृद्ध करने में लगे हुए हैं. पहले की अपेक्षा बिहार पुलिस अब ज्यादा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है. जितेंद्र कुमार ने बताया कि हमारा प्रयास है कि एक फ्रेंडली पुलिस का चेहरा आम जनता के बीच बन सके. इस वजह से तकनीकों का प्रयोग भी हम इसी दिशा में लगातार कर रहे हैं.

बिहार के सभी जिला ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आधुनिक युक्त पुलिस थाना और बिल्डिंग बनाई गई है और भी बनाई जा रही है. यह सब बदलने के पीछे पुलिस मुख्यालय का मकसद सिर्फ पुलिस का कार्य पद्धति को बदलने का है. ताकि आम जनता के जहन में पुलिस का जो चेहरा पहले के दिनों में बना था उसे बदला जा सके.

देखें खास रिपोर्ट

'पुलिस के पास आधुनिक हथियार उपलब्ध'
पुलिस का चेहरा पहले की दिनों में आम इंसान के जहन में खराब बैठा हुआ था. आम इंसान को ऐसा लगता था कि घटना घटित होने के कई घंटे बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची थी. इसका मुख्य कारण पुलिस के खराब वाहन था, जो धकेल कर स्टार्ट हुआ करता था. पुलिस के ज्यादातर थाने खण्डहर हुए करता था. पुलिस की तुलना में अपराधी के पास हथियार ज्यादातर तकनीक से लैस हुआ करता था. लेकिन इन दिनों पुलिस को नए हथियार के साथ-साथ में थाना और भवन भी दिया जा रहा है. पुलिस मुख्यालय की माने तो बिहार में कुल 1324 थाने हैं, जिसमें से 890 थानों को सीसीटीएनएस योजना से जोड़ना है. उनमें से 179 थाने क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग एंड नेटवर्क सिस्टम से जुड़ चुके हैं. इन थानों को सीसीटीएनएस से जुड़ने का मुख्य मकसद आम जनता पुलिस और कोर्ट के बीच पारदर्शी लाना है.

'नीतीश के शासनकाल में अपराध और भ्रष्टाचार में वृद्धि'
वहीं, विपक्ष ने सरकार और प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि नीतीश सरकार के शासनकाल में अपराध और भ्रष्टाचार में काफी वृद्धि हुई है. रोजगार नहीं होने की वजह से बिहार से काफी लोग पिछले 15 साल में पलायन किए हैं. सरकार का जीरो टोलरेंस फेल साबित हो रहा है. अक्सर पुलिस का अमानवीय चेहरा देखने को मिलता है. तो वहीं, विपक्ष के आरोप पर बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा कि विपक्ष मुद्दाहीन है. जिस वजह से सरकार पर बेवजह आरोप लगाने का काम कर रहा है. बिहार सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम है. इसके तहत से बिहार में अपराधिक घटनाएं हो जरूर रही है. लेकिन अपराधिक जल्द से जल्द पकड़ा दी जा रहा है, जबकि राजद के शासनकाल में अपराधियों को संरक्षण मिलता था.

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