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Chaiti Navratra 2023: माता अखंडवासिनी मंदिर में दर्शन के लिए उमड़े भक्त, 109 वर्षों से जल रहा अखंड दीप - ETV Bharat News

पटना में नवरात्र के मौके पर माता अखंडवासिनी मंदिर में भीड़ जमा (Crowd gathered in Akhandvasini temple ) होने लगी है. यहां सप्तमी, अष्टमी और नवमी को काफी भीड़ जमा होती है. यहां की खासियत है कि मंदिर में सालों से दो दीप जल रहे हैं. इन दीयों को कामख्या मंदिर से लाकर स्थापित किया था. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सारी मनोकामना पूर्ण होती है. पढ़ें पूरी खबर..

अखंडवासिनी मंदिर पटना में चैती नवरात्र
अखंडवासिनी मंदिर पटना में चैती नवरात्र

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Published : Mar 28, 2023, 5:11 PM IST

अखंडवासिनी मंदिर पटना में चैती नवरात्र

पटना: बिहार की राजधानी पटना में चैती नवरात्रकी धूम है. शहर में कई जगह चैती नवरात्र पर मां दुर्गा की पूजा हो रही है. मां दुर्गा की पूजा के लिए राजधानी में कई मंदिर हैं. कई श्रद्धालु भक्त नवरात्र में घर में कलश स्थापन करके मां दुर्गा की पूजा करते हैं. लेकिन नवरात्र में गोलघर स्थित अखण्डवासिनी मंदिर (Akhandvasini Temple Patna) की महिमा ऐसी है कि यहां पूजा करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. मंगलवार को नवरात्र के सप्तमी दिन मां की विशेष रूप से पूजा की जाती है.

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अखण्डवासिनी मंदिर में उमड़ी भीड़ःअखण्डवासिनी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालु भक्तों का जमवाड़ा लगने लगा और लंबी लंबी कतारें लग गई. अखण्डवासिनी मंदिर में 109 वर्षों से कामाख्या की अखंड ज्योत जल रही है और श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है. इसका नतीजा है कि आम दिनों में भी श्रद्धालु भक्तों की भी भीड़ मंदिर पहुंचती है. अखण्डवासिनी मंदिर के पुजारी विशाल तिवारी ने बताया कि माता की महिमा अपरंपार है, जो भी श्रद्धालु भक्त सच्चे मन से जो भी मनोकामना लेकर मंदिर में पहुंचे हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. इसी का नतीजा है कि यहां पर प्रतिदिन श्रद्धालु भक्तों पहुंचते हैं.

नवमी को होगी विशेष पूजाःविशाल तिवारी ने बताया कि नवरात्र में 9 रूपों की पूजा की जाती है. उन्होंने कहा कि आज सप्तमी के दिन श्रद्धालु भक्तों के द्वारा पूजा अर्चना की जा रही है. खास कर सप्तमी, अष्टमी और नवमी यहां पर विशेष रूप से पूजा की जाती है. अष्टमी के दिन निशा पूजा की जाती है और नवमी के दिन हवन करके 108 नारियल की बलि दी जाएगी. उसके बाद कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाएगा और भंडारा किया जाएगा. उन्होंने बताया कि जो भी श्रद्धालु भक्त सच्चे मन से माता के दरबार में 7 खड़ी हल्दी, 1 पुड़िया सिंदूर और 9 फूल चढ़ाते हैं. उनकी मन्नते पूरी होती है.

109 साल से जल रहा है अखंड दीपः पुजारी ने बताया कि इस मंदिर में दो अखंड दीप हैं, जो सन 1914 से जल रहे हैं. एक घी का और एक सरसों तेल का दीप जलता है. उन्होंने कहा कि 2 अखंडदीप हमेशा जलते रहते हैं, लेकिन नवरात्र में जिन लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है, वेलोग 9 दिनों तक अखंड दीप जलाते हैं. वहीं श्रद्धालु भक्त ने बातचीत के दौरान बताया कि इस मंदिर के बारे में जानकर और लोगों से सुनकर यहां पर पहली बार पहुंची हूं. आज सप्तमी के दिन 2 घंटे से कतार में खड़ी हुई हूं. अब धीरे-धीरे कतार आगे बढ़ रही है. माता जी का दर्शन करूंगी और जो मनोकामना लेकर आई हूं, किसी से बताई नहीं जाती है . उन्होंने कहा कि माता की महिमा अपरंपार है जिस कारण से इस माता के दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंचती है.

कामख्या मंदिर से लाया गया था अखंड दीपः अखंड वासिनी मंदिर में तीन पीढ़ियों से एक ही परिवार के लोग माता की सेवा में लगे हुए हैं. माता के दरबार में जलने वाला अखंड दीप कामाख्या से लाकर स्थापित किया गया था. राजधानी पटना के प्रमुख शक्ति उपासना के रूप में पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं. मंदिर में मां काली की प्रतिमा के साथ-साथ माता के बंगला मुखी प्रतिमा स्थापित है. इस मंदिर में आरती भी बड़ी ही धूमधाम से की जाती है.

"नवरात्र में 9 रूपों की पूजा की जाती है. उन्होंने कहा कि आज सप्तमी के दिन श्रद्धालु भक्तों के द्वारा पूजा अर्चना की जा रही है. खास कर सप्तमी, अष्टमी और नवमी यहां पर विशेष रूप से पूजा की जाती है. अष्टमी के दिन निशा पूजा की जाती है और नवमी के दिन हवन करके 108 नारियल की बलि दी जाएगी. इस मंदिर में दो अखंड दीप हैं, जो सन 1914 से जल रहे हैं. एक घी का और एक सरसों तेल का दीप जलता है. उन्होंने कहा कि 2 अखंडदीप हमेशा जलते रहते हैं, लेकिन नवरात्र में जिन लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है, वेलोग 9 दिनों तक अखंड दीप जलाते हैं" - विशाल तिवारी, पुजारी

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