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ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में CBI करेगी पूछताछ, पूर्व IPS के खुलासे के बाद आया नया मोड़

पूर्व आईपीएस अमिताभ दास ने मुखिया हत्याकांड को लेकर सीबीआई के निदेशक को पत्र लिखकर सूचना दी थी. इस मामले में सीबीआई जल्द आईपीएस अमिताभ दास पूछताछ कर सकती है.

ब्रह्मेश्वर मुखिया
ब्रह्मेश्वर मुखिया

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Published : Sep 13, 2020, 4:45 PM IST

पटना:रणवीर सेना सुप्रीमो बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड को लेकर पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने सीबीआई को एक पत्र लिखकर मामले का खुलासा किया था. इसके बाद सीबीआई हरकत में आ गई है. एक बार फिर जांच की प्रक्रिया शुरू होते दिख रही है.

पूर्व आईपीएस अमिताभ दास ने मुखिया हत्याकांड को लेकर सीबीआई के निदेशक को पत्र लिखकर सूचना दी थी. उन्होंने अपने पत्र में हत्याकांड का खुलासा करते हुए लिखा था कि प्रतिबंधित रणवीर सेना के सरगना की हत्या पूर्व एमएलसी हुलास पांडे ने कराई थी. पूर्व आईपीएस में हुलास पांडे की भूमिका को लेकर सीबीआई को सूचना देना चाहते हैं. इस मामले में सीबीआई ने भी पहल किया है. जल्द ही अमिताभ दास से पूछताछ करेगी. जांच फिर से शुरू हो सकती है.

पूर्व आईपीएस अमिताभ दास का बयान

सीबीआई करेगी पूछताछ

पूर्व आईपीएस अमिताभ दास ने कहा है कि हमारे पास इसके प्रमाण है कि बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड में किसकी भूमिका है? पूर्व आईपीएस ने कहा कि पूर्व एमएलसी हुलास पांडे की भूमिका इस मामले में संदिग्ध है. जब भी सीबीआई मुझसे पूछताछ करेगी, तो मैं इस बारे में पूरी जानकारी सीबीआई को दूंगा.

ब्रह्मेश्वर मुखिया कौन थे
रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया का नाम लेते ही सियासी हलकों में हलचल तेज हो जाती है. ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या आज से 8 साल पहले 1 जून 2012 को की गई थी. इस हत्याकांड के बाद बिहार में उबाल की स्थिति बन गई. पटना, औरंगाबाद, जहानाबाद, आरा और गया समेत कई जगहों पर उपद्रव हुआ था.

पूर्व आईपीएस अमिताभ दास की ओर से जारी पत्र

नरसंहार मामले में हुई थी जेल
ब्रह्मेश्वर मुखिया को बथानी टोला नरसंहार में अभियुक्त बनाया गया था. इस कांड के मुख्य आरोपी होने के बाद उन्हें 29 अगस्त 2002 पटना से गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद मुखिया 9 साल जेल में ही रहे. हाई कोर्ट ने 8 जुलाई 2011 को उनकी जेल से रिहाई का आदेश दिया. जेल से छूटने के बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया ने अखिल भारतीय राष्ट्रवादी किसान संगठन के नाम से संस्था बनाई. इसके साथ वो किसाने की समस्या के लिए लड़ते रहे.

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